22.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

सृजन में जिलाधिकारी के पदनाम से मिला खाता, जिप से पांच साल के दस्तावेज गायब

भागलपुर : सृजन घोटाले में पूर्व जिला पदाधिकारियों की संलिप्तता अब धीरे-धीरे जगजाहिर होने लगी है. कल्याण विभाग की इंवेंट्री में चौंकानेवाला खुलासा हुआ है. सृजन महिला विकास सहयोग समिति में जिला पदाधिकारी के पदनाम से खाता मिला है. उस दौरान गोरे लाल यादव भागलपुर के जिला पदाधिकारी थे. उनके साथ तत्कालीन कल्याण पदाधिकारी के […]

भागलपुर : सृजन घोटाले में पूर्व जिला पदाधिकारियों की संलिप्तता अब धीरे-धीरे जगजाहिर होने लगी है. कल्याण विभाग की इंवेंट्री में चौंकानेवाला खुलासा हुआ है. सृजन महिला विकास सहयोग समिति में जिला पदाधिकारी के पदनाम से खाता मिला है. उस दौरान गोरे लाल यादव भागलपुर के जिला पदाधिकारी थे. उनके साथ तत्कालीन कल्याण पदाधिकारी के पद नाम से भी सृजन में खाता खुलवाया गया था. कल्याण विभाग में पिछले एक पखवारे से चल रही इनवेंट्री का टेबल वर्क संपन्न होने के बाद विभागीय अधिकारियों ने गुरुवार को इसका खुलासा किया है. हालांकि, इन दोनों खाते से कितना लेन-देन हुआ है इस बारे में विभाग के द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गयी. इसके अलावा विभाग में बंद अलमीरा से 11 बैंक अकाउंट भी मिले हैं. इसमें इंडियन बैंक पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, कैनरा बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी व एक्सिस बैंक के भी एकाउंट मिले हैं. इसमें 2000 से लेकर 2016 तक के खाते मिले हैं. विभाग के मुताबिक इसमें कुछ पुराने हैं तो कुछ बंद भी हो चुके हैं.

जिला परिषद से पांच साल का महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब

सृजन महिला विकास सहयोग समिति, बैंकों और सरकारी अधिकारियों व कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी राशि की धोखाधड़ी मामले में संलिप्तता छिपाने के लिए जिला परिषद से लगभग पांच साल के महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब करा दिये जाने की सूचना है. सूत्रों की मानें तो कई साल पहले के दस्तावेज गायब किये गये हैं. दस्तावेज किन सालों के गायब हैं और उसके पीछे के कारण और संलिप्त लोगों का पता किया जा रहा है. ऐसी आशंका है कि सृजन से संबंध को छिपाने के लिए दस्तावेज गायब किये गये हैं.

पीरपैंती ब्लॉक से भी बड़ी रकम सृजन को मिलने की सूचना

सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड को गोराडीह और सबौर ब्लॉक से बड़ी रकम मिलने की बात पहले ही सामने आ चुकी है. सूत्रों की मानें तो पीरपैंती ब्लॉक से भी सृजन के खाते में बड़ी रकम ट्रांसफर की गयी है. बड़े अधिकारी के निर्देश पर पूर्व बीडीओ द्वारा सृजन को पैसे ट्रांसफर किये जाने की आशंका है.

एके सिंह को जल्द भेजा जा सकता है आइजीआइएमएस

सरकारी राशि घोटाले मामले में विशेष केंद्रीय कारा में बंद बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व पदाधिकारी एके सिंह जेल अस्पताल में भर्ती हैं. एके सिंह के गंभीर बीमारी से ग्रसित होने की बात सामने आ रही है. जेएलएनएमसीएच में इलाज के दौरान उन्हें पीएमसीएच या आइजीआइएमएस रेफर किये जाने को कहा गया है. जेल प्रशासन स्कॉट का इंतजार कर रहा है. स्कॉट उपलब्ध होते ही एके सिंह को इलाज के लिए आइजीआइएमएस भेज दिया जायेगा.

शहर के व्यवसायी ने एक आइपीएस को गिफ्ट की कई गाड़ियां

सृजन और अन्य लोगों द्वारा सरकारी राशि की धोखाधड़ी सामने आने के बाद शहर में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि सरकारी राशि का गबन करनेवाले एक बड़े व्यवसायी ने एक आइपीएस अधिकारी को कई गाड़ियां गिफ्ट की हैं. उस व्यवसायी के बारे में बताया जा रहा है कि उसकी आइएएस और आइपीएस लॉबी में जबरदस्त पैठ है. इसका फायदा उठा कर ही उसने काली कमाई की. यही वजह है कि अधिकारियों को भी वह लाभ पहुंचाता रहता है.

सृजन की कृपा से बनी बीएयू की चहारदीवारी

बीएयू के विकास व कंट्रक्शन में ही नहीं सिक्यूरिटी कंपनी में भी सृजन का पैसा लगा है. जब यहां विश्वविद्यालय बना, तो आउटसोर्सिंग से ही ज्यादातर कर्मियों को रखने के सरकारी निर्देश थे. उस समय दीपक वर्मा विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ मेवालाल चौधरी के काफी करीबी थे. उन्होंने अपने दोस्त घोष के नाम सिक्युरिटी कंपनी बनायी. घोष और दीपक वर्मा मिल कर विश्वविद्यालय की सिक्युरिटी से लेकर चतुर्थ वर्ग एवं तृतीय वर्ग के कर्मियों को इसके माध्यम से रोजगार देने लगे. सिक्युरिटी कंपनी बनाने में सृजन घोटाले की मनोरमा देवी का पैसा तो लगा ही, पैरवी और पहुंच ने भी काफी काम किया. इससे सृजन को दो तरह के फायदे होते रहे. कंपनी द्वारा कर्मियों को वेतन दिया जाता था, जबकि विश्वविद्यालय से मोटी रकम ली जाती थी, क्योंकि कर्मियों को वेतन सिक्युरिटी कंपनी देती थी, जो विश्वविद्यालय से मिलनेवाली मान राशि से काफी कम होती थी. फिर उस सिक्युरिटी कंपनी का पैसा ट्रांसफर होकर सृजन में जाता था. इस तरह जहां सृजन अपरोक्ष रूप से जरूरतमंदों को काम दिलाने का अहसान जताती थी, वहीं उससे एक मोटी आमदनी भी होती थी. हालांकि, वह कंपनी ज्यादा दिन नहीं चली, क्योंकि एक बार मजदूरों के साथ हुए विवाद में सिक्युरिटी कंपनी की जीप जला दी गयी थी. इसके बाद से कंपनी बंद कर दी गयी. कंस्ट्रक्शन के काम में कई भवन दीपक वर्मा ने ठेकेदार बन कर बनवाये, तो कई ठेके में वह ठेकेदार का सहयोगी बना. उसमें भी सृजन की ही राशि के इस्तेमाल का चर्चा है.

सिविल सर्जन से हुई पूछताछ

सीबीआइ की टीम ने गुरुवार को सिविल सर्जन से पूछताछ की. सूत्रों की मानें तो अन्य कई बैंकों के वरीय अधिकारियों से भी पूछताछ की गयी. पिछले एक दो दिनों से सीबीआइ जिला पुलिस द्वारा जरूरत के अनुसार लोगों को बुलवाती है और पूछताछ करती है, जो काफी गोपनीय ढंग से की जाती है. इधर, सृजन कार्यालय में गुरुवार को भी इन्वेंट्री का काम जारी रहा. सृजन के प्रथम तल में भी काफी संख्या में पुराने रजिस्टर और कागजात मिले हैं, जिसे सूचीबद्ध किया जा रहा है.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel