फुल्लीडुमर : थाना क्षेत्र अंतर्गत भितिया पंचायत के चेगाखार भुताहा मोड़ के समीप रविवार की देर शाम बांका की ओर से जा रही एक कार दुर्घटनाग्रस्त हो गयी जिसमें सवार चार लोग जख्मी हो गये. गाड़ी के आगे एक वोर्ड लगा हुआ था जिसमें राजद का चुनाव चिह्न तथा राष्ट्रीय जनता दल खगड़िया कोषाध्यक्ष युवा राजद लिखा है.
जानकारी के अनुसार कार पर सवार लोग अपने किसी परिजन से मिलने कटोरिया कांवरिया धर्मशाला के समीप शिविर जा रहे थे. दुर्घटना के बाद सूचना मिलते ही परिजन घटना स्थल पर पहुंचे और घायलों को इलाज के लिए भागलपुर ले गये.
हादसे के बाद घटना स्थल पर पहुंचे परिजन
घायलों को ले गये भागलपुर
जिले में सूखे की स्थिति कायम, किसान परेशान
परेशानी Â जिले में जुलाई में कुल मिला कर 218 मिलीमीटर ही हुई है वर्षा, पानी की कमी से नहीं हो पा रही धान की रोपाई
जिले में जुलाई में कुल मिला कर 218 मिलीमीटर ही वर्षा हुई है. इससे किसान और आम लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. जिले में आधे से ज्यादा बिचड़े सुखकर बरबाद हो गये हैं. पानी के अभाव में धान की रोपाई नहीं हो पा रही है.
मौसम की दगाबाजी से बांका जिले में सूखे की स्थिति कायम हो रही है. इस स्थिति में किसानों के होश उड़ रहे हैं. जबकि आम आवाम भी त्राहिमाम कर रहा है. इस स्थिति से निबटने के नाम पर प्रशासनिक महकमा बैठकों और फाइलों तक सीमित है. जिले के किसान सूखे से बचाने के लिए अब ईश्वर से प्रार्थना करने लगे हैं. जगह-जगह वर्षा के लिए पूजा पाठ का दौर शुरू हो गया है. कहीं अखंड पाठ तो कहीं पूजा- अनुष्ठान.
त्राहिमाम करते किसान और आम लोग बचाव के लिए ईश्वर की शरण में हैं. ज्ञात हो कि अभी अशरेष यानी अश्लेषा नक्षत्र चल रहा है. धान की रोपाई के लिए यह मध्य नक्षत्र होता है. इसके बाद सिंह नक्षत्र में धान की रोपाई करने वालों के बारे में लोकोक्ति है कि अभागे किसान ही सिंह नक्षत्र में धान की रोपाई करते हैं. जिस में लगने वाली पूंजी के अनुपात में लागत भी वसूल नहीं हो पाती. धान की जगह खखड़ी पैदा होता है.
आसमान में बादल लगातार विचरण कर रहा है. उमड़-घुमड़ भी रहा है. समय-समय पर वज्रपात के जरिए लोगों की जान भी ले रहा है. लेकिन जीवन दान देने वाली बरसा क्यों बादलों तक ही सिमट कर रह गयी है. यहां के किसान और आम लोग समझ नहीं पा रहे. हर तरफ त्राहिमाम की स्थिति कायम हो गयी है. मौसम की बेरुखी से यहां खेती किसानी थम गयी है. वही लोग बुरी तरह मौसमी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. प्रकारांतर से कहें तो बांका जिला प्राकृतिक प्रकोप की चपेट में है.
सूखे से बचने के लिए अब ईश्वर की शरण में हैं लोग
प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए न सिर्फ किसान बल्कि आम लोग भी अब ईश्वर की शरण में हैं. ईश्वर को मनाने के लिए पूजा-पाठ और भजन- कीर्तन का दौर जिले भर में शुरू हो गया है. जगह जगह अष्टयाम, भजन- कीर्तन, पूजा- अनुष्ठान और हवन आदि के आयोजन किए जा रहे हैं. सब के पीछे एक ही संकल्प है. जल्दी से बारिश हो और किसी तरह बचे खुचे बिचड़े से धान की रोपाई की जा सके. वैसे तो लगातार अवर्षण की वजह से जिले में 50 फीसदी से ज्यादा धान के बिचड़े सुखकर नष्ट हो चुके हैं. जो बचे हैं वह भी सूखने के कगार पर हैं. यदि शीघ्र बारिश नहीं हुई तो ये बिचड़े भी सूख कर बरबाद हो जायेंगे और इस वर्ष बांका जिले में पूरी तरह से अकाल पड़ जायेगा.
समय पर धोखा दे गया आसमान
जिले में सिंचाई के साधन नकारा साबित हो रहे हैं. डैमों में पानी नहीं है. इसलिए नहरों में भी पानी नहीं है. जिले की ज्यादातर नहरें सूखी पड़ी हैं. नदियों में भी बिल्कुल पानी नहीं है. जहां-तहां तालाबों में पानी जून माह की बारिश की वजह से संग्रह हुआ था. उसका उपयोग किया जा चुका है. संपन्न किसान मोटर पंप के सहारे हांफ-हांफ कर खेती का काम आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन औसत किसानों के लिए यह भी मुश्किल है.
संपन्न किसान जो मोटर पंपों के सहारे हैं उनका रोना है कि बोरिंग फेल हो रहा है. जुलाई महीने में सिर्फ 218 मिलीमीटर वर्षा हुई है. जून में किसी एक दिन का 254 मिलीमीटर वर्षा का रिकॉर्ड था. किसानों का मानना है कि जून में बारिश का कोई लाभ उन्हें नहीं मिला. बारिश की अब जरूरत है तो आसमान धोखा दे गया.