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मैली हो गयी पापहरणी

मंदार. कैसे लोगों को करेगी पाप से मुक्त, हुई प्रदूषित गंदगी और प्रदूषण से खुद शापित हो गयी है जीव मात्र को पापों और शापों से मुक्त करने वाली पापहरणी. लेकिन इसे लेकर अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही चिंता का विषय है. मनोज उपाध्याय बांका : … तो ये हैं अपनी पापहरणी, जनाब. पवित्र पापहरणी […]

मंदार. कैसे लोगों को करेगी पाप से मुक्त, हुई प्रदूषित

गंदगी और प्रदूषण से खुद शापित हो गयी है जीव मात्र को पापों और शापों से मुक्त करने वाली पापहरणी. लेकिन इसे लेकर अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही चिंता का विषय है.

मनोज उपाध्याय

बांका : … तो ये हैं अपनी पापहरणी, जनाब. पवित्र पापहरणी सरोवर, जिसके बारे में आध्यात्मिक मान्यता है कि इसमें स्नान करने मात्र से मनुष्य तमाम तरह के पापों और शापों से मुक्त हो जाता है.

ऐतिहासिक उल्लेख ये भी है कि इसी पवित्र सरोवर में स्नान करने से पालवंशीय नरेश को असाध्य कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली थी, जिससे प्रभावित होकर उनकी रानी कोण देवी ने मंदार पर्वत शिखर तक पहुंचने के लिए शिलाखंडों को कटवाकर प्रस्तर सोपान बनवाया था. लेकिन आज यह सरोवर खुद सापित होकर इसमें स्नान करने वालों में रोगोत्पादन का सबब बन कर रह गया है. पापहरणी सरोवर आज पूरी तरह कूड़ेदान बन चुका है. इसका पानी जहरीला हो चुका है. इसके पानी में घूले आर्सेनिक का सहज अंदाजा इसके पानी के हरे हो चुके रंग को देखकर ही लगाया जा सकता है. पापहरणी को एक ओर से भरकर इस पौराणिक धरोहर का वजूद मिटा देने की साजिश हो रही है.

इसके लिए जिम्मेदार कौन है यह जांच का अलग विषय है. लेकिन आश्चर्य इस बात को लेकर है कि मौके – बेमौके हाथों में झाड़ू ले पापहरणी की सफाई का नाटकीय उपक्रम करते हुए या विभिन्न अवसरों पर मंदार और पापहरणी को पर्यटन के राष्ट्रीय नक्शे पर स्वर्णाक्षरों में दर्ज कराने की घोषणा और दावा करने वाले नेता, अफसर, जन प्रतिनिधि और यहां तक की मंत्री भी इस विषय पर बिल्कूल खामोश और मूक दर्शक बने बैठे हैं.

शायद उनकी नजर में मंदार और पापहरणी की इस दुर्दशा पर चिंता और चिंतन करने की जिम्मेदारी तो सिर्फ आम जनता का है. उनका अधिकार तो सिर्फ भाषण देने का है और अपना दायित्व भी उन्होंने शायद अपने भाषणों तक ही सीमित कर रखा है. अफसोस…. कि आम लोग इस मुद‍दे पर चिंता और चिंतन तो गहरी कर रहे हैं, लेकिन उनके हाथ में इससे ज्यादा और कुछ नहीं.

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