महंगाई की मार. आसमान छू रहे हरी सब्जी व दाल के दाम
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थाली से गायब हुई सब्जी-दाल
महंगाई की मार. आसमान छू रहे हरी सब्जी व दाल के दाम दाल व सब्जी के आसमान छूते भाव की वजह से निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों की पहुंच से ये दूर हो रहे हैं. बांका : महंगाई की मार से सभी वर्गों के लोग आहत हैं. महंगाई का सबसे ज्यादा असर निम्न मध्यवर्गीय परिवारों पर देखा […]
दाल व सब्जी के आसमान छूते भाव की वजह से निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों की पहुंच से ये दूर हो रहे हैं.
बांका : महंगाई की मार से सभी वर्गों के लोग आहत हैं. महंगाई का सबसे ज्यादा असर निम्न मध्यवर्गीय परिवारों पर देखा जा रहा है. महंगाई की वजह से इन परिवारों की थाली से हरी सब्जी एवं दाल गायब हो चुके हैं. भीषण गरमी से हरी पत्तेदार सब्जियों के लगभग सभी लत सूख जाने के वजह से सब्जियों के दाम आसमान पर हैं. वहीं चना, उडद, मूंग, कलाय की पैदावार अच्छी नहीं होने से दाल के दाम भी सातवें आसमान पर हैं. जिस वजह से हरी सब्जी एवं दाल आम आदमी के पहुंच के बाहर हो चुका है. आम लोग सब्जी के रूप में आलू से ही काम चला रहे हैं.
इस वर्ष आलू के दामों ने भी कहर बरपा रखा है. स्थानीय आलू की पैदावार अच्छी नहीं होने की वजह से बाजारों में यूपी एवं बंगाल के आलू मुंह मांगे दामों पर बिक रहे हैं और लोग मजबूरी बस इसे खरीद कर अपना काम चला रहे हैं. निम्न वर्ग के लोग अपने भोजन में दाल के बारे में सोच भी नहीं सकते चूंकि जितनी उनकी प्रतिदिन की दिहाड़ी है लगभग उतना ही दाल की कीमत है. दिहाड़ी के पैसे से ही उन्हें अपने परिवार का खान पान के साथ अन्य कार्यों को निपटाना है.
कहते हैं सब्जी विक्रेता : शहर के शिवाजी चौंक स्थित सब्जी मंडी के सब्जी विक्रेता कृष्ण रंजन साह ने बताया कि हरी सब्जियों के दाम पिछले वर्ष के मई माह की तुलना में इस वर्ष अधिक है. इसका मुख्य कारण अत्यधिक गरमी का पड़ना है. अत्यधिक गरमी की वजह से स्थानीय हरी सब्जी के लत मर गये जिससे स्थानीय सब्जी बाजार से गायब हो गये. बाहर से आ रही सब्जियां महंगी खरीद के कारण अधिक कीमत पर सब्जियां बाजारों में बिक रही है.
कहते हैं किराना दुकानदार: शवाजी चौंक स्थित शकुंतला मार्केट के किराना व्यवसायी प्रदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि सभी प्रकार के दालों की कीमत आसमान पर है. इस वर्ष लगा था कि चना की पैदावार अच्छी होने से दालों की कीमत में गिरावट आयेगी लेकिन इसका कुछ भी असर चना दाल की कीमत पर नहीं दिख रहा है. दाल के दर दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं. वहीं अन्य दालों की कीमत में भी गिरावट नहीं आयी है. जबकि अभी उडद, मूंग, कलाय की कटनी हुई ही है. बावजूद इसके सभी प्रकार के दालों की कीमत चरम पर है. स्थानीय किसानों के पैदावार अच्छा नहीं होने की वजह से दाल जिले में आयात हो रहे हैं. बड़ी मंडियों में दाल की खरीदगी अधिक होने की वजह से दाल अधिक कीमत में बिक रहे हैं.
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