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Shani Jayanti 2020: कब है शनिदेव जयंती, जानिए पूजा की विधि व शुभ मुहूर्त

Shani Jayanti 2020: भगवान शनिदेव का जन्मोत्सव ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. इस बार शनिदेव जयंती 22 मई को मनाई जाएगी. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार अमावस्या तिथि 21 मई को शाम 09 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 22 मई को रात 11 बजकर 08 मिनट तक रहेगी.

Shani Jayanti 2020: भगवान शनिदेव का जन्मोत्सव ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. इस बार शनिदेव जयंती 22 मई को मनाई जाएगी. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार अमावस्या तिथि 21 मई को शाम 09 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 22 मई को रात 11 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. इसलिए शनि अमावस्या 22 मई को मनायी जाएगी. ऐसी मान्यता है कि साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा जैसे शनि से जुड़े दोषों से निजात पाने के लिए शनि अमावस्या पर शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार जिन लोगों को हमेशा कष्ट, निर्धनता, बीमारी व अन्य तरह की परेशानियां होती हैं, उन्हें भगवान शनिदेव की पूजा जरूर करनी चाहिए.

शनि जयंती पर किसी मंदिर में बैठकर शनि स्त्रोत का पाठ करना बहुत उत्तम रहता है. लेकिन इस बार अपने घरों में ही बैठकर शनि स्त्रोत का पाठ करना होगा. कोरोना वायरस के कारण देश के अधिकतर मंदिर बंद है. सूर्य पुत्र भगवान शनि न्याय के देवता है और सभी 9 ग्रहों में शनि ग्रह का विशेष महत्व है. इसके अलावा शनि जयंती के दिन शनि देव को प्रिय काली चीजें जैसे काली उड़द, काले कपड़े आदि दान कर सकते हैं. वहीं, शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर शनिदेव की मूर्ति के पास तेल चढ़ाएं या फिर उस तेल को गरीबों में दान करें. वहीं, शनिवार के दिन काला तिल और गुड़ चीटियों को खिलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं.

इस पर्व पर पूर्ण रूप से पुण्य कमाने के लिए सर्वप्रथम स्नानादि से शुद्ध होकर एक लकड़ी के पाट पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनिजी की प्रतिमा या फोटो या एक सुपारी रख उसके दोनों ओर शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएं. इस शनि स्वरूप के प्रतीक को जल, दुग्ध, पंचामृत, घी, इत्र से स्नान कराकर उनको इमरती, तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य लगाएं. नैवेद्य से पहले उन पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुमकुम और काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें. नैवेद्य अर्पण करके फल व ऋतु फल के संग श्रीफल अर्पित करें.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव की पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. हिंदू धर्म में शनि देवता भी हैं और नवग्रहों में प्रमुख ग्रह भी माने जाते है. ज्योतिषशास्त्र में बहुत अधिक महत्व मिला है. वैसे तो भक्त हर शनिवार को शनिदेव की पूजा करते ही हैं. लेकिन शनि जयंती पर कर्मफलदाता शनिदेव की पूजा करने पर विशेष लाभ मिलता है. पूजा-पाठ करने के पश्चात काला कपड़ा, काली दाल, लोहे की वस्तु आदि का दान अवश्य करें, ऐसा करने से शनिदेव कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं. वहीं, माना जाता है कि तिल, उड़द, मूंगफली का तेल, काली मिर्च, आचार, लौंग, काला नमक आदि के प्रयोग से भी शनि महाराज प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा, एक कटोरी तिल का तेल में अपना चेहरा देखने के बाद इसे शनि मंदिर में रख आएं. मान्यता है कि ऐसा करने से शनि के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं.

ये है शुभ मुहूर्त

शनि जयंती 2020

22 मई

अमावस्या तिथि आरंभ – रात के 09 बजकर 35 मिनट पर (21 मई 2020)

अमावस्या तिथि समाप्त – रात के 11 बजकर 07 मिनट पर (22 मई 2020)

Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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