Navratri Day 9, Maa Siddhidatri Vrat Katha: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां सिद्धिदात्री देवी दुर्गा का वह रूप है, जो अत्यंत शक्तिशाली और दिव्य माना जाता है. कथा है कि भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या की थी और उनकी कृपा से आठ सिद्धियां प्राप्त कीं. इसी के कारण भगवान शिव का आधा शरीर देवी के रूप में परिवर्तित हो गया, जिससे उन्हें अर्धनारीश्वर के नाम से जाना गया. मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में यह रूप विशेष शक्तिशाली माना जाता है और कहा जाता है कि यह स्वरूप सभी देवताओं के तेज से प्रकट हुआ था.
महिषासुर के अत्याचार और देवी का उदय
पुराणों में वर्णित है कि दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से सभी देवता अत्यंत परेशान हो गए थे. उन्होंने भगवान शिव और भगवान विष्णु से सहायता मांगी. उस समय वहां उपस्थित सभी देवताओं की शक्तियों का तेज एकत्रित हुआ और एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ. इसी शक्ति से उत्पन्न हुई देवी को सिद्धिदात्री कहा गया. उनका नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वे अपने भक्तों को सिद्धियां और आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
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भगवान शिव पर मां की कृपा
कथा के अनुसार, मां सिद्धिदात्री की कृपा से न केवल भगवान शिव ने आठ सिद्धियां प्राप्त कीं, बल्कि उनके तप और भक्ति से ब्रह्मांड में सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन का संचार हुआ. यही कारण है कि नवरात्रि के नौवें दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व माना जाता है.
महानवमी पर पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना करने से घर में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और बल की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही सभी बाधाएं और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. इसलिए महानवमी के दिन भक्तजन उनकी विधिपूर्वक पूजा करते हैं और विशेष भोग, हवन और आरती अर्पित करते हैं.
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सिद्धिदात्री से मिलने वाले आध्यात्मिक लाभ
मां सिद्धिदात्री का यह दिव्य रूप न केवल शक्ति और सिद्धियों का प्रतीक है, बल्कि सभी भक्तों के लिए धैर्य, समर्पण और भक्ति का मार्गदर्शन भी करता है. नवरात्रि के इस पवित्र अवसर पर उनकी पूजा करने से जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और सकारात्मक परिवर्तन लाने की मान्यता है.
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