Siddhidatri Mata ki Aarti मां सिद्धिदात्री की आराधना से भक्तों के सभी भय, दुःख और रोग दूर होते हैं. वह जीवन में अनहोनी से रक्षा करती हैं और मोक्ष का मार्ग भी प्रदान करती हैं. नवरात्रि में कन्या पूजन करने से मां दुर्गा अत्यंत प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की तपस्या करके आठ प्रकार की दिव्य सिद्धियां प्राप्त की थीं. श्रद्धा और सही विधि से पूजा और मंत्रों का उच्चारण करने से भक्त अष्ट सिद्धि, बुद्धि और जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं.
ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा
- मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें.
- फिर पूजा स्थल तैयार करें और चौकी पर मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. माता का ध्यान करते हुए उन्हें प्रसाद अर्पित करें. फल, फूल, नारियल, हलवा, खीर, चना और मौसमी फल विशेष प्रिय माने जाते हैं.
- ज्योत जलाकर आरती करें और पूरी श्रद्धा के साथ माता की स्तुति करें. पूजा के दौरान भक्त का ध्यान निर्वाण चक्र पर केंद्रित होना चाहिए, जो हमारे कपाल के बीच में स्थित होता है. ऐसा करने से माता सिद्धिदात्री की कृपा से उस शक्ति का अनुभव होता है.
- पूजा समाप्त करते समय माता का आशीर्वाद लें और उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा बनाए रखें.
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मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
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