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Iran-Israel War: पश्चिम एशिया में बढ़ा तनाव तो महंगाई होगी तेज, समझें क्या है कनेक्शन

Iran-Israel War: ईरान-इजराइल के बीच युद्ध का सीधा असर भारत पर पड़ने वाला है. भारत का दोनों देशों के साथ व्यापारिक संबंध है. पिछले पांच दिनों से इसका असर, शेयर बाजार में देखने को मिल रहा है. इसके साथ ही, कच्चे तेल और सोने की कीमत में भी तेजी देखने को मिल रही है.

Iran-Israel War: ईरान के वार का जवाब देकर इजराइल ने युद्ध की घोषणा कर दी है. इससे मिडिल ईस्ट का माहौल काफी गर्म हो गया है. इसका असर केवल गल्फ क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में देखने को मिलेगी. बैंक ऑफ क्रेडिट की एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों के बीच युद्ध से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है. ये समय के साथ बढ़ता जाएगा. इसके कारण सुरक्षित निवेश के लिए लोग प्रेरित हो रहे हैं. हाल के दिनों में सोना, डॉलर और येन में निवेश में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. भारत में इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा. साथ ही, निवेश से लेकर नौकरी के अवसरों तक पर असर देखने को मिलेगा. इससे, रिजर्व बैंक के द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को भी आगे बढ़ाया जा सकता है.

शेयर मार्केट में दिखेगा असर

भारतीय शेयर बाजार में पिछले पांच दिनों से गिरावट का दौर जारी है. हालांकि, सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन बाजार तेजी के साथ बंद हुआ था. दोनों देशों के युद्ध से बाजार में अनिश्चितता और अस्थिरता की लहर शुरू हो गई है. एशिया के दूसरे बाजारों में भी खतरा देखने को मिल रहा है. मुद्रा तेजी से नीचे जा रही है. जबकि, तेल की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है.

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पेट्रोल-डीजल के साथ पाम तेल की कीमतों पर होगा असर

खाड़ी देशों में टेंशन का असर कच्चे तेल की कीमतों पर दिख रहा है. इससे पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा हो सकता है. इसके साथ ही, पाम ऑयल की कीमतों पर भी असर पड़ेगा.

आर्थिक संबंधों पर पड़ेगा असर

ईरान और इजरायल दोनों देशों के साथ भारत का आर्थिक गठजोड़ है. इजरायल भारत का स्ट्रैटजिक सप्लायर है तो सेंट्रल एशिया रिपब्लिक और ईस्ट यूरोपियन देशों तक कनेक्टिविटी के लिए ईरान अहम है. चाबहार बंदरगाह विकास का काम भारत के लिए रणनीतिक रुप से महत्वपूर्ण है. इसमें ईरान की भी भागीदारी है. ये परियोजना अधर में लटक सकती है. चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान में चीन द्वारा वित्त पोषित ग्वादर बंदरगाह के पास है. इसके साथ ही, भारत को महंगा कच्चा तेल और गैस भी खरीदना पड़ सकता है. इसका असर इससे समर्थित उद्योग और पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर देखने को मिलेगा.

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