Navratri Day 4: नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है. मां कूष्मांडा को शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि माता ने इस सृष्टि का निर्माण किया है. माता की आठ भुजाएं हैं. उन्होंने धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, कमंडल, गदा और जलमाला को धारण किया है. धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा की आराधना से जीवन में खुशहाली आती है, नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है. नवरात्रि के चौथे दिन पूजा-पाठ और माता की आरती करना बेहद शुभ माना जाता है.
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माता कूष्मांडा की आरती (Mata Kushmanda Ki Aarti Lyrics)
कूष्मांडा जय जग सुखदानी.
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली.
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे .
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा.
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे.
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा.
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी.
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा.
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो.
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए.
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
मां कूष्मांडा का मंत्र (Maa Kushmanda Mantra)
ऊं कुष्माण्डायै नम:
बीज मंत्र
कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
ध्यान मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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मां कूष्मांडा के मंत्र
- मंत्र: ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः ॥
- बीज मंत्र: ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः ॥
- स्तुति मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
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