Good Friday Kyu Manaya Jata hai: गुड फ्राइडे का ईसाई धर्म में विशेष महत्व है. इस दिन को ईसाई अनुयायी शोक दिवस के रूप में मनाते हैं. वे गिरजाघर जाकर प्रभु यीशु को स्मरण करते हैं और उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं. ईसाइयों के अनुसार, इस दिन ईसा मसीह ने संपूर्ण मानवता से बुराई को समाप्त करने के लिए अपना बलिदान दिया था. गुड फ्राइडे के अवसर पर “हैप्पी गुड फ्राइडे” नहीं कहा जाता, आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण.
क्यों नहीं बोला जाता हैप्पी गुड फ्राइडे
‘गुड फ्राइडे’ एक ऐसा दिन है जिसे ईसाई धर्म में अत्यधिक पवित्र और गंभीर माना जाता है. यह दिन यीशु मसीह के क्रूस पर बलिदान की स्मृति में मनाया जाता है. हालांकि, कई बार लोग अनजाने में या आदतवश इस दिन को “हैप्पी गुड फ्राइडे” कह देते हैं, जो कि भावनात्मक और धार्मिक दृष्टि से अनुचित है.
गुड फ्राइडे को “हैप्पी” कहने से कई लोग असहज महसूस करते हैं, क्योंकि यह दिन खुशियों का नहीं, बल्कि शोक, आत्म-चिंतन और प्रार्थना का है. इस दिन यीशु मसीह ने निर्दोष होते हुए भी अत्याचार सहा और अंततः उन्हें क्रूस पर चढ़ा दिया गया. उन्होंने मानवता के पापों का प्रायश्चित करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. उनके बलिदान की गहराई और पीड़ा को समझे बिना इस दिन को “हैप्पी” कहना उनकी कुर्बानी को हल्के में लेने जैसा हो सकता है.
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‘गुड फ्राइडे’ शब्द में “गुड” का अर्थ “अच्छा” है, लेकिन इसका तात्पर्य ‘खुश’ या ‘उत्सव’ से नहीं है. यहाँ “गुड” उस महान कार्य या पवित्र बलिदान को दर्शाता है जो यीशु मसीह ने मानवता के उद्धार के लिए किया. यह दिन हमें प्रेम, करुणा, क्षमा और बलिदान का पाठ पढ़ाता है.
ईसाई समुदाय इस दिन उपवास करता है, चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं आयोजित की जाती हैं, और श्रद्धालु इस दिन को मौन या गंभीरता के साथ बिताते हैं. यह आत्म-चिंतन का एक दिन होता है, जब व्यक्ति अपने भीतर की ओर देखता है और मसीह के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प करता है.
इसलिए, ‘गुड फ्राइडे’ को ‘हैप्पी’ कहना न केवल भावनात्मक रूप से असंवेदनशील है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचा सकता है.