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Adi Shankaracharya Jayanti 2025: कब है आदि शंकराचार्य जयंती? जानें इसका इतिहास और धार्मिक महत्व

Adi Shankaracharya Jayanti 2025: आदि शंकराचार्य एक प्रतिष्ठित भारतीय गुरु और दार्शनिक थे, जिनका जन्मदिन आदि शंकराचार्य की जयंती के रूप में मनाया जाता है. यह हर वर्ष वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि इस वर्ष आदि शंकराचार्य जयंती कब है.

Adi Shankaracharya Jayanti 2025: भारत के प्रमुख संतों में आदि शंकराचार्य जी का नाम भी आता है.उन्हें जगतगुरु शंकराचार्य के नाम से भी जाना जाता है.उन्होंने हिंदू समुदाय को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.आदि शंकराचार्य जयंती हर वर्ष उनके अनुयायियों द्वारा वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है.यहां जानें आदि शंकराचार्य जयंती कब मनाई जाएगी और इसका धार्मिक महत्व क्या है.

कब है आदि शंकराचार्य जयंती

वैदिक पंचांग के अनुसार, आदि शंकराचार्य जयंती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाई जाएगी, जो 1 मई को सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और 2 मई को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी.

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जन्म से पहले ही तय था कि अल्पायु होंगे आदि शंकराचार्य

788 ईस्वी में आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के मालाबार क्षेत्र के कालड़ी में नम्बूद्री ब्राह्मण शिवगुरु और आर्याम्बा के घर हुआ था.पौराणिक कथा के अनुसार, पुत्र की प्राप्ति के लिए उनके माता-पिता ने शिवजी की आराधना की.भोलेनाथ उनकी साधना से प्रसन्न हुए.दंपत्ति की इच्छा थी कि उनकी संतान की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैले, और शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की, लेकिन शिव ने कहा कि यह पुत्र या प्रसिद्धि प्राप्त करेगा या दीर्घायु.दंपत्ति ने सर्वज्ञ संतान की कामना की.आदि शंकराचार्य अल्पायु में ही हुए.इन्हें महावतारी युगपुरुष कहा जाता है.कहा जाता है कि 820 ईस्वी में केवल 32 वर्ष की आयु में शंकराचार्य जी ने हिमालय क्षेत्र में समाधि ली थी.आज इसी वंश के ब्राह्मण बद्रीनाथ मंदिर के रावल होते हैं.

8 साल में हासिल किया वेदों का ज्ञान

आदि शंकराचार्य के पिता का साया बहुत जल्दी उठ गया था.उनकी मां ने उन्हें वेदों का अध्ययन करने के लिए गुरुकुल भेज दिया.शंकराचार्य ने 8 वर्ष की आयु में ही वेद, पुराण, उपनिषद्, रामायण, महाभारत सहित सभी धार्मिक ग्रंथों को कंठस्थ कर लिया था.

देश के चार मठों की स्थापना की

आदि गुरु शंकराचार्य ने देश के चारों कोनों में मठों की स्थापना की, जिसमें पूर्व में गोवर्धन और जगन्नाथपुरी (उड़ीसा), पश्चिम में द्वारका शारदामठ (गुजरात), उत्तर में ज्योतिर्मठ बद्रीधाम (उत्तराखंड) और दक्षिण में शृंगेरी मठ, रामेश्वरम (तमिलनाडु) शामिल हैं.आदि शंकराचार्य ने इन चारों मठों में योग्य शिष्यों को मठाधीश बनाने की परंपरा की शुरुआत की, जिसके बाद से इन मठों के मठाधीश को शंकराचार्य की उपाधि दी जाती है.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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