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Sindhu Water Treaty: आजादी मिलने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारों को लेकर विवाद शुरू हो गया था. ये विवाद उन छह नदियों को लेकर था, जो कि भारत और पाकिस्तान दोनों में बहती हैं. भारत ने पाकिस्तान के साथ 1965, 1971 और 1999 के युद्ध में भी इस समझौते को नहीं तोड़ा था. लेकिन इस बार भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल समझौते (Indus Water Treaty) को रद्द कर दिया है. आइये जानते हैं क्या है इंडस वाटर ट्रिटी या सिंधु जल समझौता.
नदियों के पानी के इस्तेमाल पर विवाद
इंडस वाटर ट्रिटी (Indus Water Treaty) को सिंधु जल संधि भी कहा जाता है. यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक छह नदियों के जल के बंटवारे का समझौता है. जो कि 19 सितंबर 1960 को हुआ था. 1947 में आजादी मिलने के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों में ही पानी के बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हो गया था. ये सभी नदियां सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, व्यास और सतलज भारत और पाकिस्तान में बहती हैं. पाकिस्तान का आरोप था कि भारत इन नदियों पर बांध बनाकर पानी का दोहन करता है. जिससे उसके इलाके में पानी कम आता है और वहां सूखा जैसी स्थिति बनी रहती है.
ऐसे हुए समाधान
भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों के पानी को लेकर विवाद बढ़ता गया. इस पर 1949 में अमेरिकी विशेषज्ञ टेनसी वैली अथॉरिटी के पूर्व प्रमुख डेविड ललियंथल ने विवाद को समाप्त करने का प्रयास किया. सितंबर 1951 में विश्व बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष यूजीन रॉबर्ट ने इसमें मध्यस्थता की. कई बैठकों के बाद 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि (Sindhu Water Treaty) हुई. इस समझौते पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षण किए थे. इसके बाद 12 जनवरी 1961 को इस संधि की शर्तें लागू की गई.
क्या था संधि में
इस संधि में तय किया गया कि पूर्वी क्षेत्र की तीन नदियों रावी, व्यास और सतलज पर भारत का अधिकार होगा. जबकि पश्चिम क्षेत्र की नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान को दिया जाएगा. लेकिन भारत के पास इन नदियों के पानी से खेती व अन्य इस्तेमाल का अधिकार रहेगा. सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों के कुल 16.80 करोड़ एकड़ फीट पानी में से भारत को 3.30 एकड़ पानी दिया गया. जो कुल पानी का 20 प्रतिशत है. इस समझौते के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच एक स्थाई आयोग का गठन किया गया. जिसे सिंधु आयोग नाम दिया गया. दोनों तरफ से एक-एक आयुक्त इस समझौते के लिए तैनात किया गया. यही दोनों अपनी-अपनी सरकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं. दोनों आयुक्तों को साल में एक बार मीटिंग करनी होती है. ये मीटिंग एक साल भारत में तो दूसरे साल पाकिस्तान में होती है.
पाकिस्तान को करता रहता है आपत्ति
पाकिस्तान की सिंचाई का 80 प्रतिशत हिस्सा सिंधु नदी के पानी पर आश्रित है. भारत के झेलम व चिनाब पर हैं. चिनाब के रतले और पाकुल दुल प्रोजेक्ट, झेलम के किशनगंगा प्रोजेक्ट को लेकर पाकिस्तान 2015 से विवाद कर रहा है. पाकिस्तान को भारत के 330 मेगावाट के किशनगंगा प्रोजेक्ट और 850 मेगावाट के रातले जलविद्युत प्रोजेक्ट पर आपत्ति है. पाकिस्तान ने विश्व बैंक से भारत के दो जल विद्युत परियोजनों को लेकर कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन की नियुक्त का अनुरोध भी किया है.
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