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Magadha Empire 5: मगध साम्राज्य के दो प्रतापी राजा बिम्बिसार और अजातशत्रु के साथ एक नगरवधू आम्रपाली का नाम जुड़ता है. आम्रपाली इन दोनों राजाओं की समकालीन थी और इनके बीच संबंध हो सकता है, लेकिन इतिहासकार यह मानते हैं कि आम्रपाली और राजा बिम्बिसार और अजातशत्रु को लेकर जिस तरह की प्रेम कथा प्रचलित है, वह सत्य प्रतीत नहीं होती है और ना ही इस तरह के संबंधों के कोई प्रमाण मिलते हैं. लेकिन यह भी एक सत्य है कि आम्रपाली उस काल की बहुत ही चर्चित और प्रतिष्ठित नगरवधू थी.
कौन थी आम्रपाली ?
आम्रपाली वैशाली की प्रसिद्ध नगरवधू थी. उसके बारे में यह कहा जाता है कि उससे सुंदर स्त्री इतिहास में कोई नहीं थी. आम्रपाली के बारे में जिस तरह की कथाएं प्रचलित हैं, उसके अनुसार वह एक साधारण परिवार की कन्या थी, वहीं कुछ कथाएं यह भी कहती हैं कि उसे आम के पेड़ के नीचे से उसके पालक पिता ने प्राप्त किया था, जिसकी वजह से उसका नाम आम्रपाली पड़ा. आम्रपाली अपनी सुंदरता, बुद्धिमत्ता और नृत्यकला के जानी जाती थी. आम्रपाली गौतम बुद्ध, राजा बिम्बिसार और राजा अजातशत्रु की समकालीन थी. उसका काल लगभग 6ठी शताब्दी से 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व माना जाता है. आम्रपाली को राजदरबार की ओर चयनित किया गया था.
नगरवधू के रूप में आम्रपाली की सामाजिक स्थिति

प्राचीन भारत में नगरवधू कोई सामान्य महिला नहीं होती थी. उसका पद एक राजकीय पद होता था और उसकी प्रतिष्ठा होती थी. नगरवधू से आशय एक ऐसी महिला से होता था, जो अपनी इच्छा से कई पुरुषों के साथ संबंध बना सकती थी. इससे उसकी प्रतिष्ठा पर कोई असर नहीं होता था. लेकिन जो नगरवधू होती थी, उसका पद बहुत ऊंचा होता था और उसके संपर्क में आम आदमी नहीं आ सकते थे. उसके संबंध राजा, राजकुमार, धनी व्यक्तियों से होते थे. नगरवधू के संपर्क में आने के लिए जितने पैसों की जरूरत होती थी, वह आम आदमी के पास नहीं होते थे. आम्रपाली के ऐश्वर्य की भी खूब चर्चा होती है. वह एक आलीशान महल में रहती थी और उसके पास पैसे और गहनों की कोई कमी नहीं थी. इतिहासकार आर्थर लेवेलिन बाशम ने अपनी किताब The Wonder That Was India में लिखा है कि नगरवधू एक प्रतिष्ठित कलाकार होती थी साथ वह एक विदुषी महिला भी होती थी. नगरवधू के चयन के वक्त इन बातों का ध्यान रखकर ही चयन किया जाता था. राजदरबार में उसका खास सम्मान होता था. बौद्ध साहित्य बताते हैं कि नगरवधू केवल मनोरंजन करने वाली कलाकार नहीं थी उसके साथ राजा, राजकुमार और धनी लोग संबंध भी बनाते थे. महापरिनिर्वाण सूत्र (बौद्ध ग्रंथ) में आम्रपाली का उल्लेख है, लेकिन यह भी बताया गया है कि वह लिच्छवी गणराज्य के प्रतिष्ठित लोगों में शामिल थी.
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बिम्बिसार और अजातशत्रु के साथ आम्रपाली के संबंध
प्राचीन कथाओं में यह कहा जाता है कि राजा बिम्बिसार और उसके पुत्र अजातशत्रु दोनों के संबंध आम्रपाली से थे. राजा अजातशत्रु ने आम्रपाली को प्राप्त करने के लिए ही वैशाली के साथ 16 वर्षों तक युद्ध किया. लेकिन इतिहासकार इस बात से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि आम्रपाली के साथ बिम्बिसार की मित्रता हो सकती है, क्योंकि वह एक नगरवधू थी, लेकिन उनके बीच प्रेम संबंध के कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं. इतिहासकार आर्थर लेवेलिन बाशम लिखते हैं कि अजातशत्रु का नाम आम्रपाली से जोड़ा जाता है, उनके बीच प्रेम संबंध के कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं.
आम्रपाली क्यों बनी बौद्ध भिक्षुणी

आम्रपाली का जीवन ऐश्वर्य में बीता था, लेकिन जब वह महात्मा बुद्ध के संपर्क में आई और उनके उपदेश को सुना, तो वह इतनी प्रभावित हुई कि उसने अपना संपूर्ण ऐश्वर्य त्याग कर बौद्ध भिक्षुणी बनने का रास्ता चुना. बौद्ध ग्रंथ महापरिनिर्वाण सूत्र में वर्णन है कि जब वह नगरवधू थी, उसी वक्त गौतम बुद्ध वैशाली की यात्रा पर थे, आम्रपाली ने उन्हें अपने उपवन में भोजन के लिए आमंत्रित किया, जिसे बुद्ध ने स्वीकार कर लिया. भोजन के उपरांत उन्होंने उसे धर्म का उपदेश दिया, जिससे प्रभावित होकर उसने सबकुछ त्याग कर संन्यास ग्रहण किया.इसके बाद उसने अपना पूरा जीवन आध्यात्मिक साधना में ही गुजारा. बौद्ध ग्रंथों में आम्रपाली को त्याग की प्रतिमूर्ति माना गया है क्योंकि उसने अपनी धन–संपदा बौद्ध मठ को दान कर दी और आजीवन धर्म प्रचार में जुटी रहीं. वह उन महिलाओं में शामिल थीं जिसने शुरुआती दौर में ही बौद्ध भिक्षुणी बनना स्वीकार किया था.
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कौन थी आम्रपाली?
आम्रपाली वैशाली की नगरवधू थी. वह गौतम बुद्ध की समकालीन थी.
नगर वधू किसे कहा जाता था?
नगर वधू एक राजकीय पद था. नगर वधू एक उच्चकोटिक की नर्तकी, गायिका और विदुषी महिला होती थी. राजा, राजकुमार और अमीर नागरिक उससे संबंध बना सकते थे.