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Magadha Empire 3 : अजातशत्रु मगध के प्रतापी राजा बिम्बिसार का पुत्र था. राजा बिम्बिसार ने जब अपने राज्य विस्तार की नीति बनाई तो उसने सबसे पहले अपने पड़ोसी अंगप्रदेश के राजा ब्रह्मदत्त को पराजित कर उसे मारा और अपने बेटे अजातशत्रु को अंग प्रदेश की कमान सौंपी. अजातशत्रु जब राजा बना तो वह अपने राजवंश का सबसे शक्तिशाली राजा माना गया, लेकिन उसके अपने पिता की हत्या करने का बहुत बड़ा कलंक भी लगा.
अजातशत्रु ने बिम्बिसार की हत्या क्यों की थी?
बिम्बिसार ने 544 ईसा पूर्व से 492 ईसा पूर्व तक शासन किया था. उसका कुल शासनकाल 52 वर्ष का था. अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार की हत्या क्यों की, इसे लेकर विभिन्न इतिहासकारों और बौद्ध –जैन साहित्य में अलग–अलग मत है. लेकिन बिम्बिसार की हत्या की मुख्य तीन वजह सामने आती है–
- अजातशत्रु का सत्ता मोह
- देवदत्त का अजातशत्रु पर प्रभाव
- अजातशत्रु की लिच्छवि से शत्रुता
इतिहासकार डीडी कोसांबी यह मानते हैं कि अजातशत्रु सत्ता का लोभी थी, चूंकि बिम्बिसार वृद्ध होने के बाद भी सत्ता पर काबित था, इसलिए सत्ता की चाह में अजातशत्रु ने पिता की हत्या कर दी थी. इतिहासकार आरएस अग्रवाल भी इसी दृष्टिकोण के समर्थक हैं.
बौद्ध साहित्य ने देवदत्त के उकसावे को बताया हत्या का कारण

बौद्ध साहित्य में ऐसा वर्णन है कि देवदत्त जो गौतम बुद्ध का विरोधी था, उसने अजातशत्रु को पिता की हत्या के लिए उकसाया. देवदत्त गौतम बुद्ध का चचेरा भाई और उनका विरोधी था. बौद्ध ग्रंथ यह बताते हैं कि देवदत्त ने अजातशत्रु को समझाया कि एक राजा को किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करनी चाहिए, चाहे उसे अपने पिता की हत्या ही क्यों ना करनी पड़े. इतिहासकार राधाकुमुद मुखर्जी भी इस बात से सहमत हैं कि देवदत्त ने अजातशत्रु को सत्ता के लिए इस हद तक लोभी बना दिया कि उसने सारी नैतिकता भुलाकर अपनी पिता की हत्या कर दी.
बिम्बिसार की हत्या के लिए लिच्छवि के प्रति उसकी सहानुभूति भी जिम्मेदार
राजा बिम्बिसार की लिच्छवि गणराज्य के प्रति सहानुभूति थी, क्योंकि उनकी दूसरी पत्नी चेलना लिच्छवि की ही राजकुमारी थी. लेकिन अजातशत्रु वैशाली पर आक्रमण करना चाहता था. चूंकि लिच्छवि वैशाली गणराज्य का प्रमुख संघ था, इसलिए अजातशत्रु को इस बात की शंका थी कि अगर वह वैशाली पर हमला करेगा, तो बिम्बिसार उसे रोक सकता है. बिम्बिसार की हत्या के पीछे यह एक प्रमुख राजनीतिक कारण भी था.
क्या वैशाली की नगरवधू आम्रपाली का बिम्बिसार की हत्या से संबंध है?
बिम्बिसार की हत्या को लेकर इस तरह की कहानियां प्रसिद्ध हैं कि बिम्बिसार और अजातशत्रु दोनों ही वैशाली की नगरवधू आम्रपाली से प्रेम करते थे और इसी वजह से अजातशत्रु ने अपने पिता की हत्या कर दी. लेकिन इतिहासकारों की मानें तो इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं कि आम्रपाली का बिम्बिसार की हत्या से कोई संबंध हो. हां यह बात सही है कि आम्रपाली इन दोनों की समकालीन थी और उसकी खूबसूरती की चर्चा थी.
अजातशत्रु ने बिम्बिसार को कैसे मारा
सत्ता के लोभी अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार को बंदी बना लिया था और उन्हें कारागार में डाल दिया था. वह अपने पिता को धीमी यातना देता था. बौद्ध साहित्य के अनुसार अजातशत्रु पिता को भूखा रखता था. जबकि जैन साहित्य का दावा है कि बिम्बिसार को जहर दिया गया था. लेकिन इतिहासकारों का मानना है कि बिम्बिसार की मृत्यु की वजह स्पष्ट नहीं है. लेकिन यातना की वजह से ही उनकी मौत हुई होगी इसपर इतिहासकार एकमत हैं.
अजातशत्रु का शासनकाल
अजातशत्रु हर्यक वंश का दूसरा राजा था. उसने पिता को हटाकर 491 ईसा पूर्व से 461 ईसा पूर्व तक शासन किया. अजातशत्रु को हर्यक वंश का सबसे शक्तिशाली राजा माना जाता है. अजातशत्रु ने अपने 30 वर्षों के शासनकाल में मगध को इतना सशक्त और समृद्ध बना दिया कि इतिहास में उसका नाम दर्ज हो गया. उसने कई विजय अभियान चलाए और मगध का साम्राज्य विस्तार किया.
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अजातशत्रु के विजय अभियान वैशाली पर कब्जा
अजातशत्रु मगध का साम्राज्य विस्तार करना चाहता था, लेकिन उसके विजय रथ के सामने सबसे बड़ी बाधा वैशाली गणराज्य था. वैशाली को अपने अधीन करने के लिए अजातशत्रु ने 16 वर्षों तक युद्ध किया और अंतत: वैशाली को जीत लिया. जिस वक्त अजातशत्रु वैशाली के साथ युद्ध कर रहा था, उस वक्त वज्जि संघ की राजधानी वैशाली थी और इसमें लिच्छवि, ज्ञातृक और विदेह जैसे कुल आठ संघ शामिल थे, जिनमें से लिच्छवि सबसे मजबूत था. वैशाली को हराने के लिए अजातशत्रु ने कई तरह की रणनीति और हथियार भी बनाए थे. वैशाली के साथ युद्ध के लिए अजातशत्रु ने रथ मुसल यानी गदा युक्त रथ और पत्थर फेंकने वाला यंत्र भी बनवाया, जिसके जरिए दुश्मन पर हमला किया जाता था. इस हथियार को महाशिलाकांतक कहा जाता था. वैशाली पर कब्जा हो जाने से मगध का गंगा के उत्तरी क्षेत्र पर भी कब्जा हो गया. यह प्रमुख व्यापारिक मार्ग था इसी वजह से अजातशत्रु इसपर कब्जा करना चाहता था.

कोसल पर कब्जा
बिम्बिसार की हत्या के बाद कोसल के साथ अजातशत्रु के संबंध बहुत खराब हो गए क्योंकि अजातशत्रु ने कोसल की राजकुमारी को विधवा किया था. बिम्बिसार की मौत के बाद उसकी पत्नी महाकोसला का भी निधन हो गया, जिसके बाद कोसल नरेश प्रसेनजीत ने काशी को वापस ले लिया, जो बिम्बिसार को दहेज में मिला था. लेकिन अजातशत्रु ने प्रसेनजीत से युद्ध करके काशी और कोसल को मगध में शामिल कर लिया. उसके बाद अजातशत्रु ने कोसल के साथ विवाह-संधि भी की, ताकि कोसल उसके सामने सिर ना उठा सके. प्रसेनजीत की पुत्री का अजातशत्रु से विवाह हुआ था.
अजातशत्रु के शासन प्रणाली की खूबियां
अजातशत्रु को भले ही पितृहंता के रूप में ज्यादा याद किया जाता है, लेकिन अजातशत्रु ने एक बेहतरीन शासनप्रणाली भी विकसित की थी. अजातशत्रु ने पाटलिपुत्र को राजधानी बनाया, ताकि व्यापारिक संबंध बनें और लाभ हो. सैन्य प्रशासन और प्रशासनिक दृष्टि से भी पाटलिपुत्र बेहतर राजधानी साबित हो सकता था. पाटलिपुत्र गंगा और सोन नदी के किनारे स्थित है.
अजातशत्रु ने किए कई सैन्य सुधार
अजातशत्रु ने युद्ध के लिए घेराबंदी प्रणाली की शुरुआत की और कई तरह के नए हथियारों का उपयोग भी शुरू किया. जिनमें रथ–मुसल और महाशिलाकांतक शामिल है. साथ ही अजातशत्रु ने किलों का निर्माण भी कराया.
व्यवस्थित प्रशासनिक व्यवस्था
अजातशत्रु ने अपने पिता की नीति को आगे बढ़ाया और शक्तिशाली केंद्र की नीति को कायम रखा. अजातशत्रु ने प्रशासनिक कार्यों के लिए अफसरों की नियुक्ति की और उन्हें प्रभावी बनाया. अजातशत्रु ने कर प्रणाली को विकसित कर राज्य के राजकोष को समृद्ध किया. साथ ही गंगा नदी के जरिए व्यापार कर मगध को आर्थिक दृष्टि से भी संपन्न बनाया.
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राजा अजातशत्रु किस राजवंश के थे?
हर्यक वंश
राजा अजातशत्रु ने सत्ता के लिए किसकी हत्या की थी?
राजा अजातशत्रु ने सत्ता के लिए अपने पिता बिम्बिसार की हत्या की थी.