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Bihar News: बिहार में दोगुनी हुईं फैक्टरियां, पर पड़ोसी राज्यों से अब भी कोसों दूर! जानें क्यों?

Bihar News: कारखानों की संख्या के मामले में बिहार ने एक लंबी छलांग लगाई है, जो प्रदेश की बदलती आर्थिक सेहत की गवाही दे रही है. आंकड़े कहते हैं बिहार बदल रहा है, लेकिन रैंकिंग बताती है कि मंजिल अभी दूर है.

Bihar News: बिहार को लंबे समय तक उद्योग-विहीन राज्य के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन ताजा आंकड़े इस धारणा को आंशिक रूप से चुनौती देते हैं. वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण (ASI) 2023-24 के मुताबिक बीते 19 वर्षों में बिहार में पंजीकृत फैक्टरियों की संख्या दोगुनी हो चुकी है.

इसके बावजूद देश के औद्योगिक मानचित्र पर बिहार अब भी पिछड़े समूह में ही गिना जा रहा है और कारखानों की संख्या के लिहाज से 15वें स्थान पर है.

19 साल में बढ़ी फैक्टरियां, रफ्तार बनी सवाल

ASI रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2004-05 में बिहार में कुल 1,674 पंजीकृत फैक्टरियां थीं. समय के साथ यह संख्या बढ़ती रही और 2010-11 तक 2,805 पहुंच गई. 2018-19 में राज्य में 3,422 फैक्टरियां दर्ज की गईं, लेकिन कोरोना महामारी के झटके ने उद्योगों को भी प्रभावित किया. 2022-23 में यह संख्या घटकर 3,307 रह गई.

इसके बाद 2023-24 में करीब 2.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और फैक्टरियों की संख्या बढ़कर 3,386 हो गई. यह साफ करता है कि वृद्धि तो हो रही है, लेकिन वह उस रफ्तार से नहीं है जिसकी उम्मीद की जाती है.

देश के मुकाबले बिहार कहां खड़ा है

देशभर में 2023-24 के दौरान कुल 2,60,061 फैक्टरियां दर्ज की गईं. इस तुलना में बिहार का योगदान अब भी सीमित है. झारखंड और ओडिशा जैसे पड़ोसी राज्यों से बिहार आगे जरूर निकल गया है, लेकिन पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से काफी पीछे है.

उत्तर प्रदेश में 22 हजार से ज्यादा फैक्टरियां हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में यह संख्या 10 हजार के पार है. बिहार की स्थिति बताती है कि औद्योगिक आधार मजबूत होने की प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में है.

झारखंड-ओडिशा को पछाड़ा

औद्योगिक रैंकिंग के मामले में बिहार के लिए सुखद खबर यह है कि उसने कारखानों की संख्या में अपने पड़ोसी राज्य झारखंड (2,889) और ओडिशा (3,281) को पीछे छोड़ दिया है. लेकिन जब बात उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की आती है, तो फासला काफी बड़ा नजर आता है.

उत्तर प्रदेश 22,141 फैक्टरियों के साथ बहुत आगे है, वहीं पश्चिम बंगाल में 10,107 इकाइयां सक्रिय हैं. बिहार फिलहाल देश में 15वें स्थान पर खड़ा है, जो यह बताता है कि अभी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है.

उद्योग विस्तार की संभावनाएं, पर शर्तों के साथ

बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष रामलाल खेतान मानते हैं कि पूर्वी भारत में उद्योग विस्तार की नई संभावनाएं बन रही हैं. उनका कहना है कि अगर लॉजिस्टिक्स, भूमि उपलब्धता, ऊर्जा आपूर्ति और कौशल विकास जैसे बुनियादी मुद्दों पर तेजी से सुधार किया जाए, तो बिहार आने वाले वर्षों में अपनी औद्योगिक रैंकिंग बेहतर कर सकता है. राज्य में खाद्य प्रसंस्करण, पैकेजिंग, प्लास्टिक, मिनरल आधारित उद्योग और परिधान सेक्टर में छोटे व मध्यम स्तर के कारखानों का नेटवर्क धीरे-धीरे बढ़ रहा है.

फैक्टरियों की संख्या का दोगुना होना एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि बिहार की औद्योगिक यात्रा अभी धीमी चाल से आगे बढ़ रही है. रोजगार सृजन, निवेश आकर्षण और क्षेत्रीय संतुलन जैसे सवाल अब भी चुनौती बने हुए हैं.

बिहार में उद्योगों की संख्या बढ़ना बदलाव की कहानी जरूर कहता है, लेकिन यह कहानी अभी अधूरी है. अगर बुनियादी ढांचे और नीतिगत सुधारों पर ठोस काम हुआ, तो आने वाले वर्षों में बिहार सिर्फ आंकड़ों में नहीं, रैंकिंग में भी छलांग लगा सकता है.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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