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चीन के अवैध निर्माण

भारत ने अपनी आपत्ति भी दर्ज करा दी है. ऐसे निर्माण भारत की सैन्य सुरक्षा के लिए चुनौती तो हैं ही, इनके होने से सीमा संबंधी विवादों का निब्टारा भी मुश्किल होता जायेगा.

लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों को जोड़ने के लिए चीन द्वारा पुल का निर्माण उसकी आक्रामकता का एक और उदाहरण है. भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पुलों का निर्माण भारत के उन क्षेत्रों में हो रहा है, जो कई दशकों से चीन के अवैध कब्जे में है. उल्लेखनीय है कि चीन 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बहुत तेज गति से निर्माण गतिविधियां चला रहा है. पूर्वी लद्दाख में जो सड़कें, पुल, मकान आदि बन रहे हैं, उनका सैनिक इस्तेमाल ही हो सकता है.

कुछ दिन पहले भारतीय सेना की ओर से बयान आया था कि पूर्वोत्तर से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भी चीन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है. भारत ने अपनी आपत्ति भी दर्ज करा दी है. ऐसे निर्माण भारत की सैन्य सुरक्षा के लिए चुनौती तो हैं ही, इनके होने से सीमा संबंधी विवादों का निब्टारा भी मुश्किल होता जायेगा. गलवान घाटी की घटना के बाद चीन के सैनिक जमावड़े के बरक्स भारत ने भी समुचित संख्या में सैनिकों को तैनात किया है.

भारत अपनी सीमा के भीतर इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर बड़ी संख्या में सैनिक और भारी हथियार नियंत्रण रेखा पर भेजे जा सकें. जिस गति से चीनी गतिविधियां चल रही हैं, उससे साफ लगता है कि चीन विवादित भूमि पर अपना कब्जा मजबूत करना चाह रहा है. इन निर्माणों से भारत के लिए दीर्घकालिक खतरा भी पैदा होगा.

ऐसी स्थिति में भारत को भी त्वरित पहल करनी चाहिए और इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. सीमा सड़क संगठन ने पैंगोंग पुल के जवाब में नुब्रा घाटी सड़क का काम तेज कर दिया है. आवश्यकता होने पर भारतीय सैनिक टुकड़ियों को इस सड़क के रूप में एक वैकल्पिक मार्ग मिलेगा, जिससे वे डेपसांग मैदान पहुंचकर चीनी सीमा तक पहुंच सकेंगी.

कई जगहों पर पहले से मौजूद सड़कों को बेहतर बनाया जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि हालांकि निर्माण में सराहनीय तेजी आयी है, पर चीनियों की गति कहीं अधिक है. कुछ भारतीय परियोजनाएं विभागों के समन्वय या लाल फीताशाही के कारण लंबित हैं. इन कमियों को दुरुस्त किया जाना चाहिए. युद्ध की तैयारियों के सिलसिले में सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिसकर्मी समेत अन्य एजेंसियां नियमित अभ्यास भी कर रही हैं.

साल 2020 में चीनी हमले के बाद भारतीय सेना ने लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक तैनात पांच डिविजन के काम में बदलाव किया है. साथ ही, पाकिस्तानी सीमा से अधिक ध्यान चीनी मोर्चे पर दिया जा रहा है. भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों की कई बैठकें हुई हैं, पर तनाव में कमी नहीं आयी है. ऐतिहासिक रूप से चीन के व्यवहार को देखें, तो हमें हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए. इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और रणनीति बेहतर करने तथा चीन पर कूटनीति दबाव बनाने के साथ-साथ सैन्य साजो-सामान की उपलब्धता एवं आपूर्ति भी सुनिश्चित की जानी चाहिए.

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