अंशुमाली रस्तोगी
व्यंग्यकार
अक्सर सोचता हूं- फेसबुक, ट्विटर, व्हाॅट्सएप, इंस्टाग्राम पर बने रहकर मैंने क्या पाया? शायद कुछ नहीं. सिर्फ विचार व्यक्त कर देने, यहां-वहां कमेंट्स कर देने, लाइक बटोर लेने या ‘आप बहुत अच्छा लिखते हैं’ का खुशफहम तमगा पा लेनेभर से बात नहीं बनती प्यारे. नाम के साथ कमाई का होते रहना ज्यादा आवश्यक है.
अभी हाल में इस खबर को पढ़कर कि ‘बड़े-बड़े सेलेब्रिटी अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से लाखों कमा रहे हैं’, मेरा भेजा ही फिर गया. मैं खुद को कोसने लगा. अपने लेखन, अपने विचार, अपने दिमाग पर लानत भेजने लगा. एक वे हैं, और एक मैं हूं. उन्होंने केवल अपने चेहरे और नाम के दम पर ही सोशल मीडिया से लाखों पीट डाले और एक मैं हूं, जो अब तक विचार और अभिव्यक्ति के झंझट में ही उलझा हुआ हूं. यहां से कमाना तो बहुत दूर की बात रही, मैं तो ‘हैंडसम लाइक्स’ भी नहीं बटोर पाता.
निरंतर लिखकर ही मैंने क्या कर लिया! मेरे लिखने से न घर में कोई क्रांति हुई, न बाहर. न खुद को सुधार पाया न समाज को. न ऊंचा इनाम ही मिला, न पुरस्कार. ऐसे लिखने से भी क्या फायदा, जिसमें न नाम हो न ढंग की कमाई. एक हमारे सेलेब्रिटी लोग हैं, जो बिना कुछ लिखे, बिना विचारों में उलझे ही, सिर्फ अपने चेहरे-मोहरे के दम पर ही सोशल मीडिया पर लाखों कमा रहे हैं.
कहिए कुछ भी, पर सेलेब्रिटी होने के अपने फायदे हैं. बल्कि मैं तो यह कहता हूं कि फायदे ही फायदे हैं. हालांकि, लोगबाग कहते जरूर हैं कि सेलेब्रिटी होना नुकसान का सौदा है. यह चमक-दमक क्षणभंगुर है. जो भी हो, पर यहां कमाई हर तरफ से है.
आज के जमाने में कमाई ही अंतिम सत्य है बंधु. बाकी अचार-विचार तो खुद को बहलाने के माध्यमभर हैं. दुनिया भी चढ़ते सूरज को ही सलाम ठोकती है. किसी लेखक को दुनिया ने सलाम ठोका हो, कभी सुना है?
ट्विटर पर अपनी ब्रांड इमेज बनाने के बाद सेलेब्रिटीज ने इंस्टाग्राम का रुख किया है. दिनभर में उनकी पोस्ट की गयी एक ही फोटू वहां धमाल मचा देती है. लाइक और कमेंट तो आते हैं ही, साथ-साथ नोट भी खूब बरसते हैं. अपनी हर बात, हर अदा को भुनाना तो कोई बड़े सितारों से सीखे.
पहले मुझे भी खासा अटपटा-सा लगता था लोगों को पैसे के पीछे भागते-दौड़ते देखना. लेकिन, अब बात समझ में आने लगी है. जिसे जहां से मौका मिल रहा है, दबाकर कमा रहा है. कोई यूट्यूब से कमा रहा है. तो कोई फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम से. कमाई ही अब लोगों की प्राथमिकता में है. लोग कितनी तेजी से मनी-माइंडेड हुए जा रहे हैं.
मुझे अब सोचना ही पड़ेगा कि मैं कैसे अपने लेखन को कमाई का जरिया बनाऊं. शक्ल मेरी ऐसी है ही नहीं, जिस पर दुनिया और इंस्टाग्राम फिदा हो जाएं. चलिए, अब लेखन में ही कमाई लायक कुछ प्रयोग करता हूं.