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बिजली संकट से कैसे मिले निजात

झारखंड में प्रचंड गर्मी के बीच बिजली संकट शुरू हो गया है. तेनुघाट ट्रांसमिशन लाइन व तेनुघाट-पतरातू ट्रांसमिशन लाइन की खस्ताहाली से अक्सर बिजली सप्लाई प्रभावित होती रहती है. इनदिनों राज्य के विभिन्न हिस्सों में जम कर लोड शेडिंग हो रही है. इससे पेयजल संकट की स्थिति भी उत्पन्न हो गयी है. लोड शेडिंग का […]

झारखंड में प्रचंड गर्मी के बीच बिजली संकट शुरू हो गया है. तेनुघाट ट्रांसमिशन लाइन व तेनुघाट-पतरातू ट्रांसमिशन लाइन की खस्ताहाली से अक्सर बिजली सप्लाई प्रभावित होती रहती है. इनदिनों राज्य के विभिन्न हिस्सों में जम कर लोड शेडिंग हो रही है.

इससे पेयजल संकट की स्थिति भी उत्पन्न हो गयी है. लोड शेडिंग का सिलसिला बदस्तूर जारी है. हर आधे-एक घंटे पर बिजली की आंख-मिचौली का क्रम देखा जा सकता है. कई शहरों में दो से चार घंटे तक की लोडशेडिंग हो रही है. पिछले दिनों बिहारशरीफ-तेनुघाट ट्रांसमिशन लाइन बिहार की ओर ब्रेकडाउन कर गयी. वही तेनुघाट-पीटीपीएस ट्रांसमिशन लाइन में भी तेनुघाट के स्विच यार्ड में खराबी आ गयी. इससे तेनुघाट की दोनों इकाइयों से उत्पादन ठप हो गया. तेनुघाट से बिजली उत्पादन ठप होने से करीब 400 मेगावाट बिजली की कमी हो गयी.

इसके बाद से जो बिजली सप्लाई की व्यवस्था चरमरायी वह अब भी जारी है. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में तो दिन-दिनभर बिजली गुल रह रही है. बिजली उत्पादन में राज्य को आत्मनिर्भर होने में पता नहीं अभी कितने साल लगेंगे. यही वजह है कि झारखंड में औद्योगिक निवेश दूसरे नवगठित राज्यों के मुकाबले काफी कम है. लघु और कुटीर उद्योग भी प्रभावित हो रहे हैं. किसान बिजली पर निर्भर नहीं रह सकते.

विडंबना देखिए कि झारखंड बनने के 13 वर्षों के दौरान नौ सरकारें बदली. सभी सरकारों ने कुछ ही माह के अंदर बिजली की स्थिति में सुधार का दावा किया. लेकिन यह दावा सिर्फदावा ही साबित हुआ. बिजली के मामले में राज्य को आज भी संकट ङोलना पड़ रहा है. राज्य की जनता को आज भी इंतजार है ऐसी किसी महात्वाकांक्षी योजना की जो राज्य को बिजली संकट से उबारे. सरकारें तो आती-जाती रहेंगी. वह चाहे किसी भी पार्टी या गंठबंधन की हों. असल मुद्दा तो यह है कि सरकारें आखिर जनहित के कामों या परियोजनाओं को कितना महत्व देती हैं.

सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग कितने दूरदर्शी हैं. उन्हें जनकल्याणकारी कामों की कितनी फिक्र या समझ है. यह बात सभी को समझना होगा कि बिजली-पानी दैनिक जीवन की मूलभुत आधार संरचना है. इसके बिना मानवीय जीवन स्तर सुधारने की बात सिर्फ बेमानी या छलावा ही है. उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार जनता के इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान अवश्य देगी.

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