31.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार : फुटबॉल के साथ बाल विवाह को भी ‘किक’ कर रहीं बेटियां, मुस्लिम लड़कियां आयीं आगे

अनुपम कुमारी पटना : फुटबॉलर के रूप में पहचान बना चुकी पटना सिटी की सुमैया, शफा और जुलेखा समेत 50 बेटियां अब राज्य सरकार की मुहिम के साथ जुड़ कर बाल विवाह को ‘किक’ कर रही हैं. इसके लिए ये पटना सिटी इलाके में ग्रुप बना कर काम कर रही हैं, ताकि मुस्लिम परिवार की […]

अनुपम कुमारी
पटना : फुटबॉलर के रूप में पहचान बना चुकी पटना सिटी की सुमैया, शफा और जुलेखा समेत 50 बेटियां अब राज्य सरकार की मुहिम के साथ जुड़ कर बाल विवाह को ‘किक’ कर रही हैं.
इसके लिए ये पटना सिटी इलाके में ग्रुप बना कर काम कर रही हैं, ताकि मुस्लिम परिवार की बेटियों को बाल विवाह के दंश से बचाया जा सके. पटना सिटी के अालमगंज की सुमैया की उम्र 16 वर्ष है. वह फुटबॉल खिलाड़ी के रूप राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाना चाहती है. इसके लिए दिन-रात मेहनत भी कर रही है. कभी गंगा किनारे, तो कभी स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रही है.
सुमैया के साथ कुल 50 लड़कियां हैं, जो फुटबॉल खेलती हैं. ये सभी मुस्लिम परिवार से हैं. इनके परिवार में बेटियों का फुटबॉल खेलना तो दूर की बात, उन्हें पढ़ने तक की आजादी नहीं है. 12 वर्ष की उम्र से ही इनकी शादी की तैयारियां होने लगती है. लेकिन, वहां रह रहीं कुछ बेटियों ने खेलकूद में बेहतर करने का निर्णय लिया.
उनकी इस पहल से उस इलाके की करीब 50 बेटियां जुड़ चुकी हैं, जाे आज फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में उस इलाके की रोल मॉडल बन चुकी हैं. हर घर की बेटियां इनकी तरह बनना चाहती हैं. वहीं, अब इन लड़कियों ने बाल विवाह को समाप्त करने का जिम्मा लिया है. वे घर-घर पहुंच रही हैं और माता-पिता को बेटियों की शादी 18 वर्ष बाद करने का अपील कर रही हैं.
मंथली मीटिंग भी
ये सभी लड़कियां मंथली मीटिंग करती हैं, ताकि इसकी रणनीति तैयार कर सकें. सुमैया बताती हैं, कि कुछ परिवारों में तो फुटबॉल प्लेयर के रूप में पहचान होने से परेशानी नहीं हो रही है. लेकिन, वैसी लड़कियों को लोग इंटरटेन नहीं कर रहें, जो अभी इसमें जुड़ी है.
ऐसी स्थिति में हम स्कूल के शिक्षक और वार्ड पार्षद या स्वयंसेवी संस्थाओं की भी मदद ले रहें हैं, ताकि किसी प्रकार की कोई परेशान न हो. उनके साथ परिवार के सदस्यों से बातचीत कर उन्हें बेटियाें की शादी 18 साल के बाद करने की अपील कर रहे हैं.
ईजाद की िनदेशक अख्तरी बेगम ने बताया िक पूरे बिहार में मुस्लिम आबादी लगभग 17% है. इसमें 60% पुरुष और 40% महिलाएं हैं. मुस्लिम परिवार में बेटियों की शादी की औसत उम्र 17 से 20 वर्ष है. 18 वर्ष से पहले ही 80% लड़कियों की शादी कर दी जाती है. कम उम्र में बेटियों की शादी होने के कारण उनकी पढ़ाई भी पूरी नहीं हो पाती है.
शारीरिक रूप से हो जाती हैं कमजोर
कम उम्र में लड़कियों की शादी से मानसिक और शारीरिक रूप से असर पड़ता है. डाॅक्टरों की मुताबिक, शारीरिक संबंध के लिए लड़कियों का शरीर उनके बालिग होने के बाद ही पूरी तरह से तैयार हो पाता है. कम उम्र में जबरन शारीरिक संबंध बनाने से गर्भाशय कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.
डिलेवरी के दौरान अत्यधिक खून की कमी, ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं बनी रहती है. सिजेरियन और अत्यधिक इंज्यूरी होने का खतरा बना रहता है. इसका असर मां और उसके होने वाले बच्चे पर पड़ता है. बच्चा कमजोर पैदा होता है और उनमें संक्रमण का खतरा भी अधिक बना रहता है. कई बार मां और बच्चे दोनों की जान भी चली जाती है.
10-10 का बनाया ग्रुप
इन लड़कियों ने 10-10 का ग्रुप बनाया है. सभी के पास एक -एक रजिस्टर रहता है. ये लड़कियां अलग -अलग इलाकों में घूम-घूम कर किशोरियों की लिस्ट तैयार कर रही हैं. ये स्कूलों में भी पहुंच रही हैं, ताकि स्कूल स्तर पर भी लड़कियों को मुहिम से जोड़ा जा सके. उनके माता-पिता से बात कर उन्हें पढ़ाने की सलाह दे रही हैं. उन्होंने कुछ ऐसे पोस्टर-बैनर भी रखे हैं, जिनके माध्यम से वे कानून की भी जानकारी दे रही हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें