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What Is Cloud Seeding: दिल्ली में पहली बार कराई जाएगी कृत्रिम बारिश, जानें क्या होती है क्लाउड सीडिंग?

What Is Cloud Seeding: दिल्ली की हवा जहरीली हो चुकी है. लगातार चौथे दिन वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में बनी रही. AQI 305 दर्ज किया गया है. सबसे ज्यादा आनंद विहार में एक्यूआई 410 दर्ज किया गया. वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए दिल्ली की सरकार ने कृत्रिम बारिश कराने की तैयारी कर ली है. कृत्रिम बारिश क्लाउड सीडिंग के जरिए कराई जाएगी. इस पूरी तकनीक के बारे में जानने की कोशिश यहां करेंगे. आखिर कैसे होती है आर्टिफिशियल बारिश?

What Is Cloud Seeding: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक्स पर पोस्ट कर कृत्रिम बारिश के बारे में जानकारी दी. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा- “दिल्ली में पहली बार क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम वर्षा कराने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. आज विशेषज्ञों द्वारा बुराड़ी क्षेत्र में इसका सफल परीक्षण किया गया है. मौसम विभाग ने 28, 29 और 30 अक्टूबर को बादलों की उपस्थिति की संभावना जताई है. यदि परिस्थितियां अनुकूल रहीं, तो 29 अक्टूबर को दिल्ली पहली कृत्रिम बारिश का अनुभव करेगी. यह पहल न सिर्फ तकनीकी दृष्टि से ऐतिहासिक है, बल्कि दिल्ली में प्रदूषण से निपटने का एक वैज्ञानिक तरीका भी स्थापित करने जा रही है. सरकार का उद्देश्य है कि इस नवाचार के माध्यम से राजधानी की हवा को स्वच्छ और वातावरण को संतुलित बनाया जा सके. इस प्रयास को सफल बनाने में लगे हमारे कैबिनेट सहयोगी मनजिंदर सिंह सिरसा जी और सभी अधिकारियों को शुभकामनाएं.”

क्या है क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग को आसान भाषा में कहें तो यह बादलों में बारिश के बीजों को बोने की प्रक्रिया है. बीज के रूप में सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड जैसे पदार्थों का प्रयोग किया जाता है.

कैसे होती है कृत्रिम बारिश?

कृत्रिम बारिश के लिए एयरक्राफ्ट की मदद से सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड जैसे पदार्थों को बादलों में पहुंचाया जाता है. ये पदार्थ बादल में मौजूद पानी की बूंदों को जमा देती हैं. बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े आपस में जमकर बर्फ का बड़ा गोला बन जाता है और फिर यही धरती पर गिरता है. इस पूरी प्रक्रिया को ही कृत्रिम बारिश कही जाती है.

क्या कभी भी कराई जा सकती है क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग उन जगहों पर  नहीं हो सकती है, जहां एक भी बादल नहीं हैं. यानी कृत्रिम बारिश के कारण बादलों का होना जरूरी है. क्लाउड सीडिंग के लिए सबसे पहले यह पता लगाया जाता है कि बादल किस दिन रह सकता है. अगर है तो कितनी ऊंचाई पर है. बादल में पानी की मात्रा का भी पता लगाया जाता है. उसके बाद केमिकल का छिड़काव किया जाता है और फिर कृत्रिम बारिश होती है.

कृत्रिम बारिश से प्रदूषण खत्म हो जाएगा?

कृत्रिम बारिश कराने के लिए सही तरीके से क्लाउड सीडिंग कराना जरूरी है. अगर सही से सीडिंग नहीं कराई गई, तो प्रयोग असफल भी हो सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार क्लाउड सीडिंग ठीक ढंग से सफल रहा तो प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकता है.

क्लाउड सीडिंग का आविष्कार किसने किया?

क्लाउड सीडिंग का आविष्कार एक अमेरिकी रसायन और मौसम वैज्ञानिक विंसेंट जे शेफर ने किया था. उन्होंने 1946 में इस तकनीक का सफलतापूर्वक टेस्ट किया था.

भारत में सबसे पहले कब कराई गई कृत्रिम बारिश?

भारत में कई बार कृत्रिम बारिश की मदद ली गई है. भारत में सबसे पहले 1984 में इसका इस्तेमाल किया गया था. जब तमिलनाडु में भयंकर सूखा हुआ था. उस समय सरकार ने सूखा से राहत के लिए दो बार यानी 1984-87 और 1993-94 में क्लाउड सीडिंग की मदद ली थी. उसके बाद 2003 और 2004 में कर्नाटक सरकार ने भी क्लाउड सीडिंग कराई थी. महाराष्ट्र सरकार को भी 2003-04 में कृत्रिम बारिश कराना पड़ा था.

गुरुवार को दिल्ली के प्रदूषण में थोड़ी सुधार

दिल्ली में गुरुवार को सतही हवा चलने से वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, शहर का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम चार बजे 305 रहा. आनंद विहार में एक्यूआई 410 दर्ज किया गया, जो सभी निगरानी स्टेशनों में सबसे अधिक है. दिल्ली देश का पांचवां सबसे प्रदूषित शहर रहा तथा हरियाणा का बहादुरगढ़ शीर्ष पर, जहां एक्यूआई 325 दर्ज किया गया.

ArbindKumar Mishra
ArbindKumar Mishra
मुख्यधारा की पत्रकारिता में 14 वर्षों से ज्यादा का अनुभव. खेल जगत में मेरी रुचि है. वैसे, मैं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खबरों पर काम करता हूं. झारखंड की संस्कृति में भी मेरी गहरी रुचि है. मैं पिछले 14 वर्षों से प्रभातखबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इस दौरान मुझे डिजिटल मीडिया में काम करने का काफी अनुभव प्राप्त हुआ है. फिलहाल मैं बतौर शिफ्ट इंचार्ज कार्यरत हूं.

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