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DGMO कौन होते हैं? जिनकी बातचीत से टला युद्ध, जानें क्या होता है रोल और कितनी मिलती है सैलरी

Role of DGMO in India-Pakistan ceasefire: DGMO यानी महानिदेशक सैन्य ऑपरेशन भारतीय सेना का अहम पद है, जो सभी सैन्य अभियानों की योजना और निगरानी करते हैं. हाल ही में भारत-पाकिस्तान के DGMO की बातचीत से युद्ध टल गया. DGMO का रोल सीमा पर शांति बनाए रखने में बेहद अहम होता है. जानें इनकी सैलरी और जिम्मेदारियां.

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Role of DGMO in India-Pakistan ceasefire: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में तनावपूर्ण हालात बन गए थे. स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए थे. लेकिन इसी बीच दोनों देशों के महानिदेशक सैन्य ऑपरेशन (DGMO) के बीच अहम बातचीत हुई, जिसने तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बातचीत के बाद दोनों देशों ने सीमा पर सीजफायर लागू करने पर सहमति जताई. 

शनिवार को हुई इस बातचीत के बाद आधिकारिक रूप से सीजफायर का एलान किया गया. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि दोनों देशों के DGMO की अगली बैठक 12 मई को तय हुई है, जिसमें आगे की शांति प्रक्रिया पर चर्चा होगी. 

अब सवाल उठता है कि ये DGMO होते कौन हैं? क्या करते हैं? और क्यों इनकी बातों से दो देशों के बीच युद्ध रुक सकता है? आइए जानते हैं इसके बारे में.

Role of DGMO in India-Pakistan ceasefire: DGMO कौन होते हैं?

DGMO यानी Director General of Military Operations भारतीय सेना में एक बहुत ही अहम पद होता है. वर्तमान में लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई भारत के DGMO हैं. इनका मुख्य काम सेना के सभी अभियानों की निगरानी, योजना और संचालन करना होता है. जब भी देश में युद्ध, सीमा विवाद या आतंकी हमला जैसी कोई गंभीर स्थिति आती है, तो DGMO ही फ्रंट पर सेना की ओर से फैसले लेते हैं. 

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Role of DGMO in India-Pakistan ceasefire in Hindi: DGMO क्या काम करते हैं?

  • किसी भी सैन्य अभियान की योजना बनाना और उसका संचालन करना.
  • थल सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच समन्वय बनाए रखना.
  • युद्ध, आतंकवाद और शांति अभियानों से जुड़ी रणनीति तैयार करना.
  • खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर कदम उठाना.

जब युद्ध की स्थिति बनती है…

सीमा पर जब हालात बिगड़ते हैं, तो सबसे पहले भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच हॉटलाइन पर बातचीत होती है. यही बातचीत तय करती है कि हालात काबू में रहेंगे या बिगड़ेंगे. हाल ही में भी DGMO की आपसी बातचीत के बाद ही सीजफायर यानी युद्धविराम की घोषणा की गई. 

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क्या होता है सीजफायर?

सीजफायर यानी युद्धविराम. जब दो देश आपसी सहमति से सीमा पर चल रही गोलीबारी या युद्ध जैसी कार्रवाई रोक देते हैं, तो उसे सीजफायर कहा जाता है. इसके लिए किसी संधि की जरूरत नहीं होती, बस दोनों देशों की आपसी सहमति काफी होती है. 

DGMO को कितनी मिलती है सैलरी?

DGMO आमतौर पर लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी होते हैं. इस रैंक के अधिकारी को लगभग 2.25 लाख प्रति माह वेतन मिलता है. इसके अलावा सरकारी आवास, गाड़ी, सुरक्षा और अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं. 

क्यों खास है DGMO का पद?

DGMO का पद सिर्फ एक सैन्य अधिकारी का नहीं होता, बल्कि यह ऐसा जिम्मेदार पद है, जिससे देश की सुरक्षा, युद्ध नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध तक प्रभावित होते हैं. कई बार DGMO की बातचीत से ही युद्ध टल जाता है और शांति की राह खुलती है. हाल के घटनाक्रम में जिस तरह से DGMO की बातचीत से युद्ध टला, उसने एक बार फिर इस पद की अहमियत को साबित कर दिया है. 

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