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Operation Sindoor: सायरन और ब्लैकआउट का अलर्ट! ऐसे वक्त में क्या करें, जानिए यहां

Operation Sindoor: भारत-पाक तनाव के बीच सीमावर्ती इलाकों में ब्लैकआउट और सायरन जैसी व्यवस्थाएं लागू की गई हैं. सैन्य ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के तहत सेना ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. ब्लैकआउट और सायरन का मकसद नागरिकों को खतरे से बचाना है. जानिए ऐसे हालात में आपको क्या सावधानी बरतनी चाहिए.

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Operation Sindoor in Hindi: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत कर दी है. बीते तीन दिनों से भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य गतिविधियों में तेजी देखी जा रही है. 8 मई की रात दोनों देशों के बीच हवाई और जमीनी स्तर पर जोरदार संघर्ष हुआ. भारतीय थलसेना और वायुसेना ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर करारा जवाब दिया. 

इस सैन्य संघर्ष के बीच दोनों देशों के बीच कूटनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है.सीमा पर तनाव लगातार बढ़ रहा है और सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग दहशत में हैं. हालांकि भारतीय सेना पूरी मुस्तैदी के साथ सीमाओं की रक्षा कर रही है और सरकार नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सतर्क है. 

सीमा से सटे शहरों और गांवों में ब्लैकआउट और सायरन जैसी व्यवस्थाएं लागू कर दी गई हैं, ताकि नागरिकों को सुरक्षा के जरूरी दिशा-निर्देश दिए जा सकें. लेकिन अब सवाल उठता है कि आखिर ये ब्लैकआउट होता क्या है? क्यों बजते हैं ये सायरन? और अगर आपके इलाके में ब्लैकआउट हो रहा है या सायरन बज रहा है, तो ऐसे में आपको क्या करना चाहिए? इन सभी जानकारी के बारे में यहां जानें. 

Operation Sindoor: ब्लैकआउट का मतलब क्या होता है

ब्लैकआउट का सीधा मतलब है कि किसी इलाके में जानबूझकर बिजली की आपूर्ति बंद कर दी जाती है.  यह कोई तकनीकी खराबी नहीं, बल्कि सुरक्षा कारणों से लिया गया कदम होता है. जब किसी हवाई हमले की आशंका होती है या सेना का कोई अभ्यास चल रहा होता है, तब शहर या इलाके की रौशनी बंद कर दी जाती है, ताकि दुश्मन को वह जगह ऊपर से दिखाई न दे. 

Operation Sindoor: सायरन क्यों बजते हैं

सायरन किसी आपात स्थिति में लोगों को चेतावनी देने का तरीका होता है. जब देश पर खतरे की आशंका होती है, जैसे कि हवाई हमला, मिसाइल गिरने का डर या कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा, तब सायरन बजाकर लोगों को सतर्क किया जाता है. इसका उद्देश्य होता है कि लोग समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाएं. 

Operation Sindoor in Hindi: सायरन के अलग-अलग प्रकार होते हैं

सायरन बजने के तरीके से यह समझा जा सकता है कि खतरे की स्थिति क्या है. यदि लगातार एक मिनट तक तेज आवाज में सायरन बजे, तो यह प्राथमिक चेतावनी होती है, यानी खतरा आ सकता है, सतर्क हो जाएं.  यदि सायरन रुक-रुक कर टुकड़ों में बजे, तो यह गंभीर चेतावनी मानी जाती है, यानी खतरा बहुत पास है, तुरंत सुरक्षित जगह पर जाएं. और जब सायरन की आवाज धीमी होते-होते खत्म हो जाए, तो समझिए कि खतरा टल चुका है. 

ऐसे समय में क्या करना चाहिए

अगर आपके इलाके में ब्लैकआउट होता है या सायरन बजता है, तो सबसे पहले घर की सभी लाइटें बंद कर दें और खिड़की-दरवाजों के पर्दे खींच दें. घर के अंदर ही रहें और छत या बाहर जाने से बचें. रेडियो, टीवी या मोबाइल के जरिए लगातार प्रशासन की तरफ से मिलने वाली जानकारी पर नजर रखें. बच्चों और बुजुर्गों को लेकर विशेष सावधानी बरतें. 

किस बात का ध्यान न रखें

ऐसे समय में अफवाहों पर ध्यान न दें. सोशल मीडिया पर बिना पुष्टि के फैलाई गई बातों से बचें. सायरन की आवाज को नजरअंदाज न करें और किसी भी सार्वजनिक स्थल पर भीड़ इकट्ठा न होने दें. ब्लैकआउट और सायरन हमारे जीवन की रक्षा के लिए होते हैं. जब प्रशासन या सेना इस तरह के कदम उठाती है, तो वह हमारी भलाई के लिए होता है. ऐसे में आम लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि वे शांत रहें, सतर्क रहें और दिए गए निर्देशों का पालन करें. 

पढ़ें: General Knowledge: अगर गिरे परमाणु बम, तो कैसे बचाएं जान? रेडिएशन से बचने के तरीके

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