Mehul Choksi Arrest Belgium: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपी और भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को आखिरकार बेल्जियम के एंटवर्प शहर में गिरफ्तार कर लिया गया है. यह वही मेहुल चोकसी है जो 13,500 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड में आरोपी है और साल 2018 में भारत छोड़कर फरार हो गया था. गिरफ्तारी उस वक्त हुई जब वह इलाज के लिए एक अस्पताल पहुंचा और वहां सीबीआई और ईडी के आग्रह पर बेल्जियम पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया.
हालांकि अब असली लड़ाई उसकी भारत वापसी यानी प्रत्यर्पण की है जो इतना आसान नहीं होगा. आइए जानते हैं इस केस से जुड़े अहम पहलू और वो 10 बड़ी चुनौतियां जो चोकसी को भारत लाने की राह में आ सकती हैं.
कानूनी लड़ाई का दांव
चोकसी के वकील बेल्जियम में जमानत की अपील कर सकते हैं और यह तर्क दे सकते हैं कि मामला राजनीतिक है या भारत में उसके मानवाधिकारों का हनन होगा.
बीमारी का बहाना
पहले भी वह कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देकर कानूनी प्रक्रिया को टालता रहा है. बेल्जियम में भी यही रणनीति अपनाई जा सकती है.
नागरिकता का खेल
चोकसी ने बेल्जियम में रेजिडेंसी कार्ड हासिल कर लिया था, संभव है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिये. वह इसे प्रत्यर्पण से बचाव का आधार बना सकता है.
प्रत्यर्पण संधि की चुनौतियां
भारत और बेल्जियम के बीच अंग्रेजों के जमाने से संधि जरूर है. लेकिन यह बाध्यकारी नहीं बेल्जियम तय करेगा कि मामला उनकी कानूनी परिभाषा में आता है या नहीं.
भारत की कानूनी तैयारी
सीबीआई और ईडी ने चोकसी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट, बैंकिंग दस्तावेज और मनी ट्रेल के सबूत बेल्जियम को सौंप दिए हैं, जिससे भारत का पक्ष मजबूत हुआ है.
स्विट्जरलैंड भागने की कोशिश
सूत्रों के अनुसार चोकसी बेल्जियम से स्विट्जरलैंड भागने की फिराक में था. यदि वह कोर्ट में इस बात से इनकार करता है, तो उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं.
मानवाधिकार का मुद्दा
चोकसी के वकील भारत की जेलों की खराब स्थिति का हवाला देकर प्रत्यर्पण को चुनौती दे सकते हैं, जैसा कई अंतरराष्ट्रीय मामलों में पहले हो चुका है.
नीरव मोदी का उदाहरण
चोकसी का भांजा नीरव मोदी अभी भी लंदन की जेल में प्रत्यर्पण के खिलाफ केस लड़ रहा है. चोकसी भी उसी तरह की रणनीति अपनाकर मामले को लटकाने की कोशिश करेगा.