Kashmir: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लंदन स्थित चथम हाउस थिंक टैंक में आयोजित एक सत्र “भारत की वृद्धि और दुनिया में भूमिका” में कश्मीर, वैश्विक अर्थव्यवस्था में डॉलर की भूमिका, अमेरिका के साथ व्यापार समझौते और चीन के साथ भारत के संबंधों पर अपनी राय रखी. इस दौरान उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर में हुए विकास, हालिया चुनावों में उच्च मतदान और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के मुद्दे पर अपनी बात रखी.
कश्मीर और पीओके पर जयशंकर का बयान
कश्मीर पर पूछे गए सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारत ने अधिकांश समस्याओं का समाधान कर लिया है. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना पहला कदम था, जिसके बाद वहां विकास कार्यों, आर्थिक गतिविधियों और सामाजिक न्याय की बहाली को प्राथमिकता दी गई. तीसरा महत्वपूर्ण कदम हाल ही में हुए चुनाव थे, जिनमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया. उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को लेकर भी अपनी राय रखी और कहा कि अब भारत उसी चीज का इंतजार कर रहा है, जो चोरी से पाकिस्तान के कब्जे में है. उन्होंने विश्वास दिलाया कि जब यह क्षेत्र वापस मिलेगा, तो कश्मीर की समस्या का पूर्ण समाधान हो जाएगा.
अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल पर टिप्पणी
अमेरिका के साथ भारत के संबंधों पर बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में अमेरिका बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रहा है, जो भारत के लिए फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन की नीतियां भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों के अनुरूप हैं.
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भारत-अमेरिका व्यापार समझौता
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता पर चर्चा करते हुए जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते की आवश्यकता को स्वीकार कर लिया है. उन्होंने बताया कि भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इस विषय पर चर्चा करने के लिए वर्तमान में वाशिंगटन में हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में इस विषय पर विस्तृत बातचीत की थी. जयशंकर ने इसे भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों के लिए एक सकारात्मक कदम बताया.
चीन के साथ भारत के संबंधों पर विचार
चीन के साथ भारत के संबंधों को लेकर जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों का रिश्ता अद्वितीय है क्योंकि ये दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं. उन्होंने इस संबंध में 2024 के बाद की कुछ घटनाओं का जिक्र किया, जिनमें तिब्बत में कैलाश पर्वत यात्रा मार्ग का उद्घाटन भी शामिल है. उन्होंने कहा कि भारत-चीन संबंधों में आपसी सम्मान और संवेदनशीलता को बनाए रखना जरूरी है. भारत एक ऐसा संबंध चाहता है जो दोनों देशों के हितों के अनुकूल हो और संतुलन बनाए रखे.
वैश्विक अर्थव्यवस्था और डॉलर की भूमिका
जयशंकर ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में डॉलर के बढ़ते वर्चस्व और रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण की जरूरत पर भी बात की. उन्होंने कहा कि भारत अपनी मुद्रा को वैश्विक व्यापार में अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रयास कर रहा है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर पर निर्भरता को लेकर भी चिंता जताई और कहा कि भारत जैसे उभरते देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं को और मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा.
एस. जयशंकर ने इस सत्र में भारत की कूटनीतिक और आर्थिक रणनीतियों पर खुलकर अपनी राय रखी. उन्होंने कश्मीर में शांति, विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में हुए प्रयासों को रेखांकित किया. इसके साथ ही, उन्होंने अमेरिका और चीन के साथ भारत के संबंधों पर अपनी सोच स्पष्ट की और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई.