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Budget 2021 : कृषि क्षेत्र में बढ़ावा से ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर या नहीं, जानिए क्या है एक्सपर्ट की राय

कृषि क्षेत्र में बढ़ावा से ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर या नहीं

ब्रजेश झा

प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ

इकोनॉमिक ग्रोथ, दिल्ली

इस बजट का पूरा फोकस स्वास्थ्य, रोजगार सृजन और इंफ्रास्ट्रक्चर पर है. रोजगार सृजन एक ऐसी चीज है, जो कृषि को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है. कृषि क्षेत्र पलायन से बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है. पलायन से कृषि के लिए समय पर काम करनेवाले लोग नहीं मिल पाते हैं. चूंकि ग्रामीण इलाके में वर्ष भर रोजगार नहीं मिलता, इसलिए ज्यादातर लोग गांवों से पलायन कर चुके हैं. रोजगार सृजन से कृषि क्षेत्र को बढ़ावा और सहूलियत मिलेगी. रेगुलेटेड मार्केट या एपीएमसी मार्केट के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की बात भी कही है वित्तमंत्री ने.

अभी इन मार्केट में बहुत सी कमियां हैं. सरकार इन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए सहायता देगी. फसलों की खरीद की बात भी बजट में है. वित्तमंत्री ने अपने भाषण में बताया है कि 2013-14 से लेकर अभी तक गेहूं की सरकारी खरीद बहुत ज्यादा बढ़ी है. कपास की खरीद भी बढ़ी है.

स्वामित्व योजना की बात भी हुई है, जो एक अच्छा कदम है. लैंड रिकॉर्ड और लैंड ओनरशिप को लेकर गांवों में बहुत ज्यादा समस्याएं हैं. इसी कारण लैंड मार्केट सही तरीके से विकसित नहीं हो पाये हैं. यदि आपके पास लैंड की ओनरशिप है और इसे लेकर कोई समस्या नहीं है, लैंड रिकॉर्ड सही है, तो इससे लैंड मार्केट को बढ़ावा मिलेगा. लैंड रिकॉर्ड और लैंड मार्केट के सही नहीं होने से कृषि काफी हद तक प्रभावित हुआ है.

इसे ऐसे समझिए कि जिनके पास छोटे-छोटे जमीन के टुकड़े हैं, वो काम की तलाश में बाहर चले गये, ऐसे में वे अपनी जमीन की सही देखभाल नहीं कर पाते थे, लेकिन जब स्वामित्व योजना के तहत उनको उनकी जमीन का स्वामित्व मिलेगा, वे सुरक्षित रह पायेंगे और अपने जमीन को किसी को भी बटाई पर या दूसरी व्यवस्था पर दे सकेंगे.

पांच फिशिंग हार्बर बनाने की जो बात हुई है, वह सब तटीय क्षेत्रों के लिए है. नि:संदेह सरकार के इस कदम से मरीन फिशरीज को बढ़ावा मिलेगा. इस योजना में सी वीड को बढ़ावा देने की भी बात कही गयी है. एक बात और, जलवायु परिवर्तन के कारण मरीन फिशरीज काफी कम होता जा रही थी. ऐसे में सरकार का यह कदम इसे प्रोत्साहित करेगा.

मरीन फिशरीज की ही तरह इनलैंड फिशरीज को विकसित करने की दिशा में भी काम करने के लिए सरकार ने कहा है, लेकिन इसके लिए अभी उसने कोई क्षेत्र निर्धारित नहीं किया है. यह अच्छी बात है कि कृषि के सहायक क्षेत्रों को विकसित करने की दिशा में सरकार कदम उठा रही है.

सरकार 22 और फसलों (पेरिशेबल क्रॉप) को टमाटर, प्याज और आलू की तरह विशेष वरीयता सूची में शामिल करेगी. यदि इन फसलों को बढ़ावा मिलेगा, उसके लिए आवंटन होगा, तो उसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर भी बनेंगे. टमाटर, प्याज और आलू के मूल्यों में काफी उतार-चढ़ाव होता है. ये पेरिशेबल क्रॉप यानी बहुत जल्द खराब होनेवाले फसल हैं, इनके लिए यदि सही इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होगा, तो किसानों को उनकी उपज का सही पैसा नहीं मिलेगा, दूसरी तरफ लोगों को वह उपलब्ध नहीं हो पायेगा.

इस परेशानी को कम करने के लिए सरकार ने आलू, प्याज और टमाटर की तरह ही 22 अन्य फसलों को भी वरीयता सूची में शामिल करने की बात कही है. इससे इन फसलों को भी बढ़ावा मिलेगा और किसान और उपभोक्ता के बीच जो प्राइस की दूरी है, वह कम होगी. किसानों को फसल का अच्छा दाम मिलेगा. उम्मीद है कि इससे उपभोक्ताओं को भी कम दाम में चीजें उपलब्ध होंगी.

उज्ज्वला योजना में एक करोड़ और लोगों को शामिल किया जायेगा, यह अच्छा कदम है. लकड़ी का

चूल्हा जलने से वायु प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है. सरकार का यह कदम वायु प्रदूषण में कमी लाने में सहायता

करेगा. महिलाओं की स्थिति भी इससे बेहतर होगी

Posted By : Sameer Oraon

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