नयी दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) ने लगातार तीन चुनाव में हार के बाद पार्टी के मिशन विस्तार में फौरी तौर पर बदलाव किया है. आप नेतृत्व ने दिल्ली नगर निगम चुनाव में उम्मीद के विपरीत मिले परिणाम की समीक्षा में पार्टी के मिशन विस्तार से केजरीवाल सरकार को दूर रखने और ईवीएम में गड़बडीड़के मुद्दे को उठाने की रणनीति में बदलाव किया है. पार्टी ने फैसला किया है अब सिर्फ दिल्ली पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा.
गुरुवार को घोषित हुए निगम चुनाव परिणाम की समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नेशनिवार को ट्वीट कर चुनाव की रणनीति में गलतियां होने और इनमें सुधार की जरूरत को स्वीकार किया है. केजरीवाल ने दो दिन से जारी समीक्षा का हवाला देते हुए कहा कि कुछ गलतियां हुई हैं, आत्ममंथन कर इनमें सुधार की जरूरत है. इससे पहले आप की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) की बैठक में पार्टी नेताओं ने विधानसभा और निगम चुनाव की रणनीति में दो प्रमुख गलतियों को उठाया.
बैठक में शामिल पार्टी के एक नेता ने बताया कि इसमें केजरीवाल और उनके मंत्रियों का दिल्ली से बाहर दूसरे राज्यों में आप के मिशन विस्तार में मशगूल होना और ईवीएम की गड़बड़ियों के मुद्दे को गलत तरीके से उठाना शामिल है. बैठक में चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद आप सांसद भगवंत मान, दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा, विधायक अल्का लांबा और पार्टी नेता कुमार विश्वास द्वारा ‘पार्टीलाइन’ से हटकर बयान देने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक चुनाव रणनीति पर सवाल उठाने वालों की दलील थी कि पिछले साल जब दिल्ली वाले डेंगू और चिकुनगुनिया से जूझ रहे थे तब केजरीवाल और उनके मंत्री विदेश दौरों या पंजाब, गोवा, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पार्टी के मिशन विस्तार में लगे थे. विपक्ष द्वारा इसे मुद्दा बनाने पर जनता में नाराजगी बढ़ी, जिसकी झलक निगम चुनाव परिणाम में साफ दिखती है.
ईवीएम में गड़बड़ी के मुद्दे को उठाने के तरीके पर भी पीएसी की बैठक में सवाल उठाये गये. हालांकि, ईवीएम के विरोध के पैरोकारों की दलील थी कि यह मुद्दा उठाने से 21वीं सदी की युवा पार्टी द्वारा तकनीक को दुरुस्त करने के लिए उसे चुनौती देने का सकारात्मक संदेश जायेगा. लेकिन, जनतामें इसका संदेश बिल्कुल उल्टा गया और लोगों को लगा कि आप ईवीएम का विरोध कर नयी तकनीक की खिलाफत करने वाली पुरातनपंथी सोच का साथ दे रही है. पार्टी नेतृत्व ने सभी पक्षों पर विचार के बाद ईवीएम के विरोध की रणनीति फिर से बनाने और केजरीवाल सरकार को मिशन विस्तार से दूर रखते हुए सिर्फ दिल्ली पर ध्यान देने का फैसला किया है.