!!जगमोहन रौतेला!!
दोपहर एक बजे तक उत्तराखंड के सभी 70 विधानसभा सीटों के परिणाम सामने आ जायेंगे. इसके बाद तय हो जायेगा कि राज्य में कांग्रेस व भाजपा में से किस दल की सरकार बनेगी? या फिर किसी एक दल को दूसरे दलों व निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाने के लिए जोड़- तोड़ की राजनीति करनी पड़ेगी.
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व भाजपा दोनों ही दलों के बीच मुख्य मुकाबला था. कुछ सीटों पर बसपा, क्षेत्रीय दल उक्रान्द, सीपीआइ ( माले ) व निर्दलीय प्रत्याशियों ने त्रिकोणात्मक संघर्ष बना कर रखा. कांग्रेस व भाजपा के विद्रोही उम्मीदवार भी दोनों दलों के राजनैतिक समीकरण बिगाड़ते दिखाई दिये थे. इस वजह से दोनों दलों के डेढ़ दर्जन से अधिक बड़े नेता अपनी-अपनी सीटों पर बुरी तरह फंसे हुए दिखाई दिये.
एक्जिट पोल में भले ही अधिकतर सर्वे भाजपा के सत्ता बनाने की बात कह रहे हों , लेकिन मुख्यमंत्री हरीश रावत बिना मतगणना के चुनावी हार स्वीकार को तैयार नहीं दिखते हैं. उन्होंने कहा कि सर्वे हमेशा से सौ फीसदी सही नहीं रहे हैं. बहुमत न मिलने और सबसे बड़ी पार्टी बनने की संभावनाओं पर भी दोनों ही दलों के शीर्ष नेता चुनावी मंथन कर चुके हैं. दोनों ही दलों की नजर इसके लिए अपने-अपने उन विद्रोेही उम्मीदवारों पर है, जो मुख्य मुकाबले में बने रहे. ऐसे कुछ लोगों से संपर्क भी साधा जा चुका है. हालांकि इस तरह की चर्चाओं पर विद्रोही उम्मीदवार अभी अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं हैं.