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जम्मू कश्मीर में सरकार गठन पर महबूबा ने कहा, ‘‘केवल समय ही बता सकता है””

श्रीनगर : भाजपा के आशावादी होने के बावजूद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती आज सरकार गठन को लेकर होने वाली बातचीत को लेकर अनिश्चित दिखीं और कहा कि वह तभी इस दिशा में पहल करेंगी जब वह इस बात पर पूरी तरह आश्वस्त हो जायेंगी कि वह जम्मू कश्मीर के लिए अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद […]

श्रीनगर : भाजपा के आशावादी होने के बावजूद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती आज सरकार गठन को लेकर होने वाली बातचीत को लेकर अनिश्चित दिखीं और कहा कि वह तभी इस दिशा में पहल करेंगी जब वह इस बात पर पूरी तरह आश्वस्त हो जायेंगी कि वह जम्मू कश्मीर के लिए अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के ‘‘सपनों को पूरा” कर सकती हैं.
जब संवाददाताओं ने पूछा कि राज्य में सरकार गठन को लेकर भाजपा के साथ बातचीत में क्या कोई कोई प्रगति हुई है, तब महबूबा की प्रतिक्रिया बहुत अस्पष्ट थी. उन्होंने कहा, ‘‘यह तो समय ही बता सकता है.” कुछ दिन पहले ही भाजपा महासचिव राम माधव श्रीनगर पहंुचे थे और पीडीपी प्रमुख से बातचीत की थी. उसके बाद महबूबा ने कहा था कि व्यवस्था जारी रखने को लेकर ‘‘दोनों पार्टियां सकारात्मक” हैं. महबूबा सात जनवरी को अपने पिता सईद के निधन के बाद आज पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुईं. उन्होंने कहा कि दिल्ली की उनकी यात्रा एक लोकसभा सदस्य के तौर पर उनके कर्तव्यों से संबंधित थी.
उन्होंने कहा, ‘‘संसद का सत्र 23 फरवरी को शुरु हो रहा है…मैं उसमें हिस्सा लूंगी . मुझे प्रश्न पूछने हैं…यदि संसद की कार्यवाही चलने दी गई तो.” महबूबा ने कहा, ‘‘कुछ मुद्दे हैं जैसे जेएनयू, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है, हरियाणा :जाट आंदोलन:, हमें नहीं पता कि संसद में क्या होगा.” इससे पहले महबूबा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उनका लक्ष्य सत्ता में आना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि हमें लगता है कि हम मुफ्ती मोहम्मद सईद के सपनों को पूरा कर सकते हैं तभी इसका कोई मूल्य है.
यदि स्थिति ऐसी ही रहती है जैसी है तब मेरी विरासत (राज्य के लोग) मेरे लिए पर्याप्त है.” उन्होंने कहा कि उनके दिवंगत पिता ने पांच दशक से अधिक लंबे अपने राजनीतिक जीवन में जम्मू कश्मीर के लोगों की बेहतरी के लिए संघर्ष किया.” महबूबा ने कहा, ‘‘मुफ्ती मोहम्मद अपने इतने लंबे राजनीतिक जीवन में मात्र 12 वर्ष सत्ता में रहे. यद्यपि वह लोगों के समर्थन :राजनीति में: से सक्रिय रहे.” उन्होंने कहा, ‘‘वह राज्य को एकीकृत करने और उन मुद्दों को सुलझाना चाहते थे जो उसके सामने हैं.” उन्होंने अपने पिता के आखिरी कुछ दिनों को याद करते हुए कहा कि चिकित्सकों की सलाह के बावजूद वह काम करते रहे और उन्हें राज्य के लोगों की चिंता थी.
उन्होंने कहा, ‘‘अस्पताल में भी उन्होंने मुझसे पूछा क्या बाढ पीडितों के लिए (केंद्र की ओर से) धनराशि जारी कर दी गई है, क्या शेखपुरा में कश्मरी पंडितों के लिए अतिरिक्त आवास के लिए काम शुरु हो गया है….जब मैंने उन्हें बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान की यात्रा की” वह केवल मुस्कुराये.
महबूबा ने रुंधे गले से कहा, ‘‘उन्होंने अपना जीवन केवल इसलिए बलिदान नहीं किया कि मुझे कुर्सी मिल सके. उन्होंने आपके लिए बलिदान किया.” पीडीपी प्रमुख ने भाजपा के साथ गठबंधन करने के सईद के निर्णय पर कहा कि उनके पिता चुनावी नुकसान के लिए तैयार थे लेकिन वह केवल राज्य के लोगों को इस अनिश्चितता से बाहर निकालना चाहते थे.
उन्होंने कहा, ‘‘उनका विचार था कि इतने भारी जनादेश से आये मोदीजी इस राज्य को मुश्किलों से बाहर निकाल सकते हैं, यदि वह उन्हें भारत…पाकिस्तान की मित्रता तथा लंबित मुद्दों के समाधान की जरुरत के बारे में समझा सकें.” महबूबा ने कहा कि सईद चाहते थे कि जम्मू कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक सेतु बने.

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