नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राज्यपालों एवं उपराज्यपालों से अल्पसंख्यक समुदायों और वंचित वर्गो की जरूरतों पर ध्यान देने और उनके उत्थान के लिये काम करने का आग्रह किया. राज्यपालों एवं उपराज्यपालों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सहकारी एवं प्रतिस्पर्धी संघीय ढांचे को साकार करने में राज्यपाल की विशेष भूमिका है. यह सम्मेलन राज्यपालों और उपराज्यपालों के विचारों का आदान-प्रदान करने और एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने के साथ-साथ प्रत्येक राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश की विशिष्ट एवं विविध आवश्यकताओं और उनके अनुकूल सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं को अपनाने का अवसर प्रदान करता है.
प्रधानमंत्री ने राज्यपालों और उपराज्यपालों से अनुरोध किया कि वे आम लोगों की जरूरतों पर ध्यान दें और अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का समुचित निर्वहन करें. उन्होंने राज्यपालों से आग्रह किया कि आप अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यक समुदायों, महिलाओं और युवाओं सहित कमजोर तबकों के उत्थान की दिशा में काम करें. मोदी ने कहा कि इसके लिए वे राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने के अलावा वर्तमान योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वनयन पर ध्यान दे सकते हैं.
प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और पर्यटन क्षेत्रों का विशेष उल्लेख किया, जहां रोजगार सृजन और गरीबों एवं दलितों की बेहतरी के लिए नये अवसर मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि राज्यपाल कार्यालय का उपयोग विशिष्ट उद्देश्यों जैसे तपेदिक के बारे में जागरूकता फैलाने और 2025 तक भारत को इस बीमारी से मुक्त बनाने के लिए भी किया जा सकता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने प्रशासनिक ढांचे के कारण केंद्र शासित प्रदेश विकास के मोर्चे पर आदर्श स्थापित कर सकते हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि 2022 में भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ और 2047 में 100वीं वर्षगांठ मनायेगा. ऐसे में प्रशासनिक तंत्र को देश के लोगों के करीब लाने और उन्हें सही राह दिखाने में राज्यपाल की भूमिका कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है. उन्होंने कहा कि हम भारतीय संविधान के लागू होने की 70वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं. ऐसे में राज्यपालों और राज्य सरकारों को भी भारतीय संविधान में विभिन्न सेवा पहलुओं को उजागर करने की दिशा में काम करना चाहिए, विशेष रूप से नागरिकों के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के बारे में.
उन्होंने कहा कि इससे सही मायने में सभी की भागीदारी वाला शासन स्थापित करने में मदद मिलेगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं. इसलिए राज्यपाल एवं उपराज्यपाल इस अवसर का उपयोग गांधीवादी विचारों और मूल्यों की प्रासंगिकता बताने के लिए कर सकते हैं, जो हमारे संविधान के एक महत्वपूर्ण आधार हैं. मोदी ने कहा कि विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में अपनी भूमिकाओं में राज्यपाल हमारे युवाओं के बीच राष्ट्र निर्माण के मूल्यों को विकसित करने और उन्हें अधिक से अधिक उपलब्धियों की ओर प्रेरित करने में मदद कर सकते हैं.
गौरतलब है कि राज्यपालों का 50वां वार्षिक सम्मेलन राष्ट्रपति भवन में शुरू हुआ. इस सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल भाग ले रहे हैं, जिनमें पहली बार पदभार संभाले वाले 17 राज्यपाल/उपराज्यपाल भी शामिल हैं. सम्मेलन में नवगठित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उपराज्यपाल भी भाग ले रहे हैं. इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और जल शक्ति मंत्री उपस्थित थे.