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चीनी विश्वविद्यालयों के साथ करार से पहले विदेश, गृहमंत्रालय की लेनी होगी मंजूरी

नयी दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि देश के शैक्षणिक संस्थानों के लिए चीन के किसी विश्वविद्यालय से करार या एमओयू करने तथा चीनी भाषा केंद्र खोलने से पहले विदेश मंत्रालय एवं गृह मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव प्रो रजनीश जैन ने सभी विश्वविद्यालयों […]

नयी दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि देश के शैक्षणिक संस्थानों के लिए चीन के किसी विश्वविद्यालय से करार या एमओयू करने तथा चीनी भाषा केंद्र खोलने से पहले विदेश मंत्रालय एवं गृह मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव प्रो रजनीश जैन ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है. एक अधिकारी ने बताया, ऐसे विश्वविद्यालय, जिन्होंने पहले ही चीनी विश्वविद्यालयों के साथ करार या एमओयू कर लिया है, उन्हें इस पर अमल के लिए गृह मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी. जब तक मंजूरी प्राप्त नहीं कर ली जाती है, तब तक एमओयू के तहत कोई गतिविधि नहीं होनी चाहिए. इस आदेश के दायरे में निजी विश्वविद्यालय एवं अकादमिक संस्थान भी शामिल हैं. सूत्रों ने बताया कि पहले विश्वविद्यालय या स्वायत्त शैक्षणिक संस्थानों के लिए किसी देश के विश्वविद्यालयों के साथ शैक्षणिक एवं शिक्षक आदान-प्रदान करने के लिए ऐसा नियमन नहीं था.

मौजूदा समय में भारतीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों ने दुनिया के तमाम देशों के साथ शैक्षणिक और शिक्षक आदान-प्रदान कार्यक्रमों के लिए करार किये हैं. शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारने में जुटी सरकार इसे और ज्यादा बढ़ावा देना चाहती है. पिछले दो सालों में शिक्षक आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत 20 से ज्यादा देशों के करीब 250 से ज्यादा प्रोफेसर भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने के लिए आ चुके हैं. बहरहाल, मानव संसाधन विकास मंत्रालय का यह परामर्श ऐसे समय में सामने आया है जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का 11 अक्तूबर को भारत आने का कार्यक्रम है और उनकी बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंदिरों के शहर मल्लपुरम में होनी है.

भारत और चीन के बीच साल 2006 में शिक्षक आदान-प्रदान कार्यक्रम पर समझौता हुआ था. इस विषय पर दोनों पड़ोसी देशों ने शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये थे. इस कार्यक्रम के तहत दोनों देशों के बीच सरकारी छात्रवृत्ति के अलावा संस्थाओं के बीच व्यवसायिक शिक्षा जैसे क्षेत्र में गठजोड़ करने का प्रावधान किया गया था. ​वहीं, साल 2015 में भी दोनों देशों के बीच विस्तारित शिक्षा कार्यक्रम समझौता हुआ था, जो व्यवसायिक शिक्षा से जुड़ा था. चीनी छात्रों को भारत में हिंदी सीखने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करने की बात भी कही गयी थी. यूजीसी के सचिव के पत्र में कहा गया है कि काफी संख्या में भारतीय विश्वविद्यालयों ने चीनी विश्वविद्यालयों के साथ छात्र/शिक्षक आदान-प्रदान कार्यक्रम एवं चीनी भाषा केंद्र स्थापित करने के लिए करार या एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपने संवाद के माध्यम से बताया, अन्य मंजूरियों के अलावा चीनी संस्थानों/विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू या शैक्षणिक आदान-प्रदान कार्यक्रम या आशय पत्र या संयुक्त आशय की घोषणा पर हस्ताक्षर करने से पहले गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से पूर्व मंजूरी प्राप्त करनी होगी. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तय किया है कि चीन के किसी विश्वविद्यालय से करार करने से पहले तमाम मंजूरी के साथ ही अब विदेश और गृह मंत्रालय की मंजूरी लेनी होगी और प्रस्ताव को स्वीकृत कराना होगा. इसके बाद ही चीनी विश्वविद्यालय के साथ कोई भी करार मान्य होगा.

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