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उत्तराखंड : NRI गुप्ता परिवार की शादियों से पर्यावरण को हुए नुकसान पर हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

देहरादून : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने विश्वप्रसिद्ध स्की रिजॉर्ट औली में एनआरआई कारोबारी गुप्ता परिवार में हाल में हुई शादियों से पर्यावरण को पहुंचे नुकसान के बारे में राज्य सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. पिछले महीने औली में गुप्ता परिवार में दो शादियां हुई थीं. जिसके कारण वहां […]

देहरादून : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने विश्वप्रसिद्ध स्की रिजॉर्ट औली में एनआरआई कारोबारी गुप्ता परिवार में हाल में हुई शादियों से पर्यावरण को पहुंचे नुकसान के बारे में राज्य सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. पिछले महीने औली में गुप्ता परिवार में दो शादियां हुई थीं. जिसके कारण वहां गंदगी और कूडे़ के अंबार लग गये थे तथा धौलीगंगा समेत कई जलस्रोत दूषित हो गये थे.

गुप्ता बंधुओं के दो पुत्रों की चार दिन तक चली भव्य शादी में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, योग गुरू रामदेव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट समेत बड़ी संख्या में विशिष्ट लोग पहुंचे थे. दक्षिण अफ्रीका में कारोबार करने वाले अप्रवासी कारोबारी अजय गुप्ता के पुत्र सूर्यकांत का विवाह 19-20 जून को तथा अतुल गुप्ता के पुत्र शशांक का विवाह 21-22 जून को औली में संपन्न हुआ था.

इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर कल सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन तथा न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार और उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और चमोली के जिलाधिकारी से 10 दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करते हुए यह स्पष्ट करने को कहा कि मेजबानों ने प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन किया या नहीं और स्की रिजार्ट में छोडे़ गये कई टन कूडे़ को कैसे हटाया गया.

उच्च न्यायालय यह जानना चाहता है कि क्या अधिकारियों ने बायोडिग्रेडेबल (प्राकृतिक तरीके से सड़नशील) और नॉन-बायोडिग्रेडेबल (प्राकृतिक तरीके से नहीं सड़ने वाला) कूडे़ का निस्तारण अलग-अलग किया और धौली गंगा तथा अन्य जलस्रोतों पर इसका क्या प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अदालत के समक्ष पेश अपनी रिपोर्ट में कहा गया कि गुप्ता परिवार की शादियों के बाद औली में 320 टन कूडे़ का निस्तारण करना पड़ा। रिपोर्ट के अनुसार, चार दिन तक चले शादी समारोह के दौरान रिजार्ट में 200 मजदूर रहे और उनके लिए शौचालयों की सुविधा के अभाव के चलते उन्हें खुले में शौच करना पड़ा और बारिश के पानी के साथ बहकर मानव मल धौलीगंगा में चला गया.

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से धौलीगंगा में प्रदूषण के स्तर की जांच करने का आदेश देते हुए अदालत ने कहा कि स्पष्ट रूप से यह बताया जाए कि आयोजकों से पर्यावरण को हुए नुकसान के मुआवजे के रूप में कितनी राशि मांगी जानी चाहिए.

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