नयी दिल्ली : सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किये जाने को मंजूरी दे दी है.विधि मंत्रालय में मौजूद सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है. इस तरह, बार से सीधे उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त होने वाली वह पहली महिला जज होंगी.
इस घटनाक्रम के साथ सरकार ने न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पदोन्नति रोके रखने का फैसला किया है. न्यायमूर्ति जोसेफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं. सूत्रों ने बताया कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को इंदु को नियुक्त किये जाने के सरकार के फैसले के बारे में पत्र लिखेंगे.
कॉलेजियम ने तीन महीने पहले उत्तराखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ और वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा की सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर नियुक्ति का सुझाव दिया था. हालांकि जस्टिस जोसेफ की फाइल अब भी लॉ मिनिस्ट्री के पास है.
सरकार को लगता है कि न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम की सिफारिश कर काॅलेजियम ने वरिष्ठता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का सम्मान नहीं किया है. वह हाइकोर्ट के 669 न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में 42वें स्थान पर हैं.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में शुरुआत के 39 वर्षों में कोई महिला जज नहीं रही. 1989 में फातिमा बीबी को सुप्रीम कोर्ट की जज बनाया गया. इसके बाद जस्टिस सुजाता मनोहर, जस्टिस रुमा पाल, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और जस्टिस रंजना देसाई को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया.
इंदु मल्होत्रा आजादी के बाद से अब तक सुप्रीम कोर्ट की जज बनने वाली छठी महिला होंगी. फिलहाल जस्टिस जी रोहिणी और आर भानुमति सुप्रीम कोर्ट में महिला जज हैं.
इंदु मल्होत्रा वकीलों के परिवार सेताल्लुक रखती हैं. उनके पिता ओपी मल्होत्रा वरिष्ठ वकील थे और उनके बड़े भाई और बहन भी वकील हैं. मल्होत्रा ने पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और इससे पहले उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया.
उन्होंने 1983 में करियर की शुरुआत की थी. वह कई अहम फैसलों में जजों की पीठ में भी शामिल रही हैं.