Lesson to Learn from Donkey: जब भी कभी हम गधा शब्द सुनते हैं तो मन में अक्सर मूर्ख या बोझ ढोने वाले जानवर की छवि आती है. अक्सर लोग बेवकूफ व्यक्ति को भी ‘गधा’ शब्द से संबोधित कर देते हैं. हमारे मन में गधे को लेकर एक धारणा बनी हुई है. हर जीव के भीतर कोई न कोई गुण जरूर होता है जिससे सीख ली जा सकती है और इन गुणों को जीवन में उतारा जा सकता है. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में गधे के गुणों के बारे में बताया है जिसे हर व्यक्ति को अपनाना चाहिए. तो आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य के विचार इस विषय के ऊपर.
सफल होने के लिए गधे से सीखें ये गुण
चाणक्य नीति के एक श्लोक के मुताबिक,
सुश्रान्तोऽपि वहेद् भारं शीतोष्णं न पश्यति।
सन्तुष्टश्चरतो नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात् ॥
- इस श्लोक में आचार्य चाणक्य गधे से सीखने वाले बातों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि थका होने पर भी गधा काम करते रहता है उसी तरह व्यक्ति को भी आलस को छोड़ कर काम करते रहना चाहिए. अगर आप ने जीवन में कोई लक्ष्य निर्धारित किया है तो आलस छोड़कर गधे के तरह मेहनत करें और किसी भी परिस्थिति में काम से मुंह न मोड़े.
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- आगे इस श्लोक में गधे के शिकायत नहीं करने के गुण की चर्चा की गई है. गधा गर्मी या सर्दी नहीं देखता और हमेशा काम के ऊपर ही ध्यान देता है इस गुण से व्यक्ति को सीख लेना चाहिए. मुश्किल घड़ी में अक्सर लोग काम करना छोड़ देते हैं और हार मान लेते हैं. अपने आप को स्थिति के अनुसार ढालने की कोशिश करें.
- कहा जाता है ‘संतोषम परम सुखम.’ संतोष एक ऐसा गुण है जो व्यक्ति के जीवन में सुख का कारण है. संतोष के इस गुण को गधे से सीखा जा सकता है. गधा संतोष के साथ कहीं पर भी चर लेता है उसी तरह से व्यक्ति को भी जीवन में संतोष रखना चाहिए और काम करते रहना चाहिए.
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