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Chanakya Niti: मूर्ख से बहस करना चेहरे पर बैठे मच्छर को मारने जैसा है- मच्छर मरे या न मरे आपको एक चांटा जरूर लग जाता है

Chanakya Niti: चाणक्य नीति के अनुसार मूर्ख से बहस करना अपने ही चेहरे पर बैठे मच्छर को मारने जैसा है. जानिए क्यों ऐसी बहस से बचना चाहिए.

Chanakya Niti: प्राचीन भारत के महान विचारक, राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन करती हैं. उन्होंने व्यवहार, राजनीति, और सामाजिक जीवन के बारे में जो बातें कहीं, वे आज के दौर में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं.

उन्हीं की एक नीति है – “मूर्ख से बहस करना, अपने ही चेहरे पर बैठे मच्छर को मारने जैसा है. मच्छर मरे या न मरे, आपको एक चांटा ज़रूर लग जाता है.” यह कहावत प्रतीकात्मक रूप से समझाती है कि मूर्ख व्यक्ति से तर्क-वितर्क करना व्यर्थ ही नहीं, बल्कि हानिकारक भी हो सकता है.

Chanakya Niti on Debate and Arguement | क्यों नहीं करनी चाहिए मूर्ख से बहस?

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Chanakya niti: मूर्ख से बहस करना चेहरे पर बैठे मच्छर को मारने जैसा है- मच्छर मरे या न मरे आपको एक चांटा जरूर लग जाता है 3

चाणक्य का मानना था कि बहस का उद्देश्य समाधान होता है, लेकिन जब आप ऐसे व्यक्ति से बहस कर रहे हों जिसे सही या गलत की समझ ही न हो, तो वह बहस केवल समय और ऊर्जा की बर्बादी बन जाती है. मूर्ख व्यक्ति तर्कों को समझने के बजाय जिद और अज्ञानता से जवाब देता है. ऐसे में आपकी समझदारी भी व्यर्थ हो जाती है.

Acharya Chanakya Quotes in Hindi | Chanakya Quotes on Fool

“मूर्ख से बहस करने वाला व्यक्ति भी धीरे-धीरे मूर्खता की ओर बढ़ने लगता है. इसलिए समझदारी इसी में है कि चुप रहकर अपने कर्म पर ध्यान दिया जाए.” — आचार्य चाणक्य

आज के समय में जब सोशल मीडिया पर हर कोई अपने विचार प्रकट करता है, वहां अक्सर ऐसी स्थितियां बन जाती हैं जब लोग बिना तर्क के बहस करने लगते हैं. कई बार लोग सही बातों को भी नकारते हैं और अजीबो-गरीब जवाब देते हैं. ऐसे में समझदार व्यक्ति अगर जवाब देने की कोशिश करता है, तो वो खुद उस अनचाही बहस में उलझ जाता है. यही बात चाणक्य नीति में स्पष्ट की गई है -“मूर्ख से बहस करना, अपनी ही समझदारी पर प्रश्नचिन्ह लगाना है.”

विचारशीलता ही है समाधान

यदि कोई व्यक्ति किसी बात को समझना ही नहीं चाहता, तो उससे तर्क करना व्यर्थ है. ऐसे में शांत रहना, अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाना ज्यादा जरूरी है. चाणक्य यही सिखाते हैं कि जहां लाभ न हो, वहां प्रयास न करें. मूर्ख व्यक्ति को अपनी समझ से बदलना संभव नहीं, उसे समय के साथ ही अनुभव सिखा सकता है.

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