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अरूण जेटली को है भरोसा, शीतकालीन सत्र में पारित हो जायेगा बीमा विधेयक

नयी दिल्‍ली :वित्त मंत्री अरूण जेटली ने उम्मीद जताई है कि लंबे समय से अटका बीमा कानून संशोधन विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित हो जाएगा. इसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढाकर 49 प्रतिशत करने का प्रावधान है. वित्त मंत्री ने आज यहां भारत वैश्विक मंच की बैठक […]

नयी दिल्‍ली :वित्त मंत्री अरूण जेटली ने उम्मीद जताई है कि लंबे समय से अटका बीमा कानून संशोधन विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित हो जाएगा. इसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढाकर 49 प्रतिशत करने का प्रावधान है.

वित्त मंत्री ने आज यहां भारत वैश्विक मंच की बैठक में कहा, हमने विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को खोला है. मुझे उम्मीद है कि शीतकालीन सत्र में मैं बीमा विधेयक को पारित करवाने में कामयाब रहूंगा. संसद का माह भर का शीतकालीन सत्र 24 नवंबर से शुरु हो रहा है. फिलहाल बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 26 प्रतिशत है.

लंबे समय से अटके बीमा विधेयक को संसद की प्रवर समिति को भेजा गया है. इस विधेयक में शर्त यह है कि प्रबंधकीय नियंत्रण भारतीय प्रवर्तक के हाथ में रहना चाहिए. यह विधेयक राज्यसभा में 2008 से लंबित है. वित्त मंत्री ने कहा कि भारत अर्थव्यवस्था और भारतीय राजनीतिक व्यवस्था की जरुरत के हिसाब से क्षेत्रवार सीमा के साथ विदेशी निवेश की अनुमति देने की नीति पर चल रहा है.

उन्‍होंने कहा कि पिछली बार जब हम सरकार में थे तो हमने इस क्षेत्र को खोला था. उस समय राजनीतिक प्रणाली की जरुरत सीमित रुप से इसे खोलने की थी. इस बार हम क्षेत्र को कुछ अधिक खोलने जा रहे हैं. विपक्ष के दबाव के मद्देनजर सरकार ने अगस्त में बीमा विधेयक को 15 सदस्यीय प्रवर समिति को भेजने की सहमति दी थी. समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट नवंबर के तीसरे सप्ताह तक दिए जाने की उम्मीद है.

वित्‍तमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद चुनौतियों को कम करने के लिए कर नीति अत्यंत आक्रामक नहीं हो सकती. हालांकि अर्थव्यवस्था चुनौतीपूर्ण स्थिति में थी और है तथा अर्थव्यवस्था में भरोसा कायम करना एक प्रमुख चुनौती है.वित्त मंत्री ने उम्मीद जतायी कि बीमा संशोधन विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित हो सकता है. जेटली ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन पर राज्यों के साथ अंतिम चरण की बातचीत जारी है.

सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 52 प्रतिशत पर लाने की योजना है. वित्त मंत्री ने कहा, यदि संघर्षविराम उल्लंघन निरंतर जारी रहता है, तो बातचीत का माहौल प्रभावित होता है.

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