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सरकार की कोयला उत्खनन में एफडीआई और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने की तैयारी

नयी दिल्ली : सरकार ने 2019 में कोयला क्षेत्र को विस्तृत बनाने की जमीन तैयार की और अब उसकी योजना कोयला उत्खनन में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने तथा भूमिगत कोयला गैसीकरण और कोल बेड मिथेन को गति देने की है. कोयला मंत्रालय में एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इस साल (2019) में हम […]

नयी दिल्ली : सरकार ने 2019 में कोयला क्षेत्र को विस्तृत बनाने की जमीन तैयार की और अब उसकी योजना कोयला उत्खनन में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने तथा भूमिगत कोयला गैसीकरण और कोल बेड मिथेन को गति देने की है. कोयला मंत्रालय में एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इस साल (2019) में हम कोयला क्षेत्र को विस्तृत बनाने की जमीन तैयार करने में सक्षम हुए. अब अगले साल में देश में कोयला उत्खनन को विस्तृत बनाने तथा इसमें निजी क्षेत्र को शामिल करने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी देने को आशान्वित हैं.

उन्होंने कहा कि इसलिए हमें इसके लिए नियम-शर्तों पर काम करना होगा. कोल बेड मिथेन (सीबीएम), भूमिगत कोयला गैसीकरण (यूसीजी) तथा भूतल गैसीकरण जैसे क्षेत्रों में व्यापक शर्तों पर. यूसीजी सतह के नीचे मौजूद कोयले को ऐसे ज्वलनशील गैसों में तब्दील करने की प्रक्रिया है, जिनका इस्तेमाल विद्युत उत्पादन समेत विभिन्न क्षेत्रों में हो सके. सीबीएम भूमिगत कोयले में मौजूदा प्राकृतिक गैस का एक प्रकार है. अधिकारी ने कहा कि कोयला क्षेत्र में अभी ऐसी मानसिकता है कि सिर्फ कोल इंडिया ही उत्पादन करे. क्षेत्र को गतिशील होना पड़ेगा तथा गैर-जीवाश्म ईंधनों से मिल रही चुनौतियों तथा प्रौद्योगिकी संबंधी चुनज्ञैतियों को दूर करने की जरूरत है.

एनर्जी रिसॉर्सेज एंड इंडस्ट्रियल्स के लीडर देवाशीष मिश्रा ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में कोयला उत्पादन में करीब आठ फीसदी की अच्छी वृद्धि रही, लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 में अभी तक उत्पादन पांच फीसदी की गिरावट में चल रहा है. उन्होंने कहा कि मॉनसून के लंबा खींच जाने, आर्थिक सुस्ती के कारण बिजली उत्पादन में गिरावट आने तथा कोल इंडिया के खराब प्रदर्शन के कारण चालू वित्त वर्ष में कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ है.

वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि हमें सरकार से अधिक कोयला खंडों को व्यावसायिक उत्खनन के लिए खोलने की उम्मीद है. हमारा मानना है कि देश के उत्खनन क्षेत्र को खोलने का कदम उठाने से सकल घरेलू उत्पाद में क्षेत्र की हिस्सेदारी मौजूदा तीन फीसदी से ठीक-ठाक अधिक होगी और अंतत: आर्थिक गतिविधियों को तेज करने में योगदान देगी.

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