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GST से खत्म हो सकती हैं 5 और 12 फीसदी की दरें, 18 दिसंबर की बैठक में 8 और 15 फीसदी पर लग सकती है मुहर

नयी दिल्ली : वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की दरों में उपभोक्ताओं को राहत देने वाली सबसे निचली 5 और 12 फीसदी की दरें जल्द ही खत्म की जा सकती हैं. इसकी जगह पर 18 दिसंबर को जीएसटी परिषद की होने वाली बैठक में 8 और 15 फीसदी की नयी सबसे निचली दरों पर मुहर लगायी […]

नयी दिल्ली : वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की दरों में उपभोक्ताओं को राहत देने वाली सबसे निचली 5 और 12 फीसदी की दरें जल्द ही खत्म की जा सकती हैं. इसकी जगह पर 18 दिसंबर को जीएसटी परिषद की होने वाली बैठक में 8 और 15 फीसदी की नयी सबसे निचली दरों पर मुहर लगायी जा सकती है. इसकी वजह यह है कि वित्त वर्ष 2019-20 में अब जीएसटी का संग्रह संतोषजनक नहीं रहा है और राजस्व की इस कमी को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारियों के एक समूह ने जीएसटी की निचली दरों को संशोधन कर 8 और 15 फीसदी करने की सिफारिश की है.

बताया जा रहा है कि अगले सप्ताह होने वाली बैठक में जीएसटी की दर और स्लैब में बड़ा बदलाव हो सकता है. जीएसटी की अब तक की राजस्व वसूली संतोषजनक नहीं रही है. इसकी वजह से केंद्र तथा राज्यों की राजस्व वसूली काफी दबाव में आ गयी है. खबर है कि राजस्व की कमी को दूर करने के लिए जीएसटी की पांच और 12 फीसदी की दरों को खत्म करके उसकी जगह पर 8 और 15 फीसदी की दरें तय की जा सकती हैं. इसके लिए केंद्र और राज्यों के अधिकारियों के एक समूह ने अपनी सिफारिशों में इसकी सलाह दी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की अगले सप्ताह 18 दिसंबर को बैठक होने वाली है. जीएसटी के सभी फैसले जीएसटी परिषद में ही लिये जाते हैं.

यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब जीएसटी कलेक्शन उम्मीद से कम रहा है और कई राज्यों का मुआवजा भी लंबित है. राज्य उन्हें जल्द से जल्द इसकी भरपाई किये जाने की मांग कर रहे हैं. जीएसटी के तहत इस समय मुख्यत: चार दरें पांच फीसदी, 12 फीसदी, 18 और 28 फीसदी हैं. इसके अलावा, 28 फीसदी की श्रेणी में आने वाली वस्तु एवं सेवाओं पर उपकर भी लिया जाता है. यह उपकर एक से लेकर 25 फीसदी के दायरे में लगाया जाता है.

केंद्र और राज्यों के अधिकारियों के एक समूह ने मंगलवार को बैठक कर जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने की अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप दिया. इसमें कई विकल्पों पर विचार किया गया, जिनमें से एक यह है कि पांच फीसदी की दर को बढ़ाकर 8 फीसदी और 12 फीसदी की दर को बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया जाये. जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाये जाने के मामले में विस्तृत प्रस्तुतीकरण जीएसटी परिषद की बैठक के दौरान ही दिया जायेगा. इसके साथ ही, अन्य मुद्दों के अलावा राज्यों की बढ़ती मुआवजा जरूरतों को देखते हुए परिषद की बैठक में कुछ और उत्पादों पर उपकर वसूले जाने पर भी विचार-विमर्श किया जा सकता है.

जानकार सूत्रों ने बताया कि परिषद की बैठक में जीएसटी दरों को आपस में विलय कर उनकी संख्या मौजूदा चार स्लैब से घटाकर तीन भी की जा सकती है. परिषद विभिन्न छूटों पर भी फिर से गौर कर सकती है और यह भी देखेगी कि क्या कुछ सेवाओं पर उपकर लगाया जा सकता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से नवंबर की अवधि में केंद्रीय जीएसटी प्राप्ति 2019-20 के बजट अनुमान से 40 फीसदी कम रही है. इस अवधि में वास्तविक सीजीएसटी संग्रह 3,28,365 करोड़ रुपये रहा है, जब बजट अनुमान 5,26,000 करोड़ रुपये रखा गया है.

पिछले वित्त वर्ष 2018- 19 में वास्तविक केंद्रीय जीएसटी प्राप्ति 4,57,534 करोड़ रुपये रहा, जबकि वर्ष के लिए अस्थायी अनुमान 6,03,900 करोड़ रुपये का लगाया गया था. इससे पहले 2017-18 में सीजीएसटी कलेक्शन 2,03,261 करोड़ रुपये रहा था. इस बीच, देश की जीडीपी वृद्धि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में पिछली 26 तिमाहियों में सबसे कम 4.5 फीसदी रह गयी.

विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्यवर्धन पिछली नौ तिमाहियों में सबसे कम रहने की वजह से यह गिरावट आयी. इससे पहले 2012-13 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 4.3 फीसदी रही थी. बहरहाल, जीएसटी की प्रस्तावित बैठक काफी अहम हो सकती है. पिछले कुछ महीनों के दौरान जीएसटी और उपकर की वसूली काफी कम रही है. जीएसटी परिषद की ओर से सभी राज्यों के राज्य जीएसटी आयुक्तों को भेजे गये पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है.

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