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अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय स्थिति संतोषजनक रहने की उम्मीद : जेटली

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विश्वास जताया कि अगले वित्त वर्ष से वित्तीय स्थिति संतोषजनक रहेगी और राजकोषीय घाटा तय लक्ष्यों के दायरे में ही बना रहेगा. वित्त मंत्री ने विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम को लेकर तुरंत किसी तरह की चिंता को भी खारिज कर दिया. उन्होंने कहा […]

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विश्वास जताया कि अगले वित्त वर्ष से वित्तीय स्थिति संतोषजनक रहेगी और राजकोषीय घाटा तय लक्ष्यों के दायरे में ही बना रहेगा.

वित्त मंत्री ने विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम को लेकर तुरंत किसी तरह की चिंता को भी खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि अटकलबाजी को लेकर किसी तरह का कोई आकलन नहीं किया जाना चाहिये. पिछले तीन दिन में कच्चे तेल के दाम का रुख देखा जाये तो यह बिल्कुल उलट रहा है और इनमें गिरावट आयी है.

जेटली बजट बाद रिजर्व बैंक निदेशक मंडल के साथ होने वाली परंपरागत बैठक को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पिछली बैठक में नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने का जो निर्णय लिया गया वह ‘संतुलित निर्णय’ था.

उन्होंने कहा कि इस समय जो स्थिति है उसे देखते हुये अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय स्थिति को लेकर उन्हें कोई चिंता नहीं दिखायी देती. उल्लेखनीय है कि 2018-19 के बजट में चालू वित्त वर्ष का राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 3.2 प्रतिशत से बढ़कर 3.5 प्रतिशत हो गया. इसके साथ ही अगले वित्त वर्ष में इसे कम कर 3 प्रतिशत किया जाना था लेकिन उसके 3.3 प्रतिशत रहने का बजट अनुमान रखा गया है.

सरकार ने जीएसटी लागू होने और स्पेक्ट्रम नीलामी आगे के लिये टालने को राजकोषीय घाटा अनुमान से ज्यादा रहने की प्रमुख वजह बतायी. जेटली ने कहा, ‘ … जहां तक वित्तीय स्थिति की बात है, मुझे लगता है कि राजस्व के लिहाज से अगला वित्तीय वर्ष संतोषजनक रहेगा.

इस समय की स्थिति के अनुसार मुझे अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बढ़ने की समस्या नहीं दिखाई देती.’ जेटली ने खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत का डेढ़ गुना रखने के बजट प्रस्ताव के संबंध में कहा कि इसे बारे में बैठक में चर्चा की गयी. उन्होंने कहा, ‘यह बैठक बजट के बारे में हो रही थी इसीलिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चर्चा की गयी. इसका क्रियान्वयन कैसे किया जाए और किसानों, वस्तुओं की कीमतों और निर्यात प्रतिस्पर्धिता पर इसका क्या असर होगा, इस बारे में भी चर्चा की गयी। यह अकादमिक चर्चा थी.’

जेटली ने दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के बारे में पूछे जाने पर कहा कि सेबी के निदेशक मंडल की बैठक में इस पर चर्चा की गयी लेकिन आरबीआई के निदेशक मंडल के साथ बैठक में यह चर्चा का विषय नहीं था.

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