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Bihar Election Result 2025: पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का परिणाम सामने आ चुका है. चुनाव परिणाम में एक बार फिर राजग ने रिकार्ड जीत दर्ज की है. आंकड़ों की बात करें तो आकड़े 2010 के परिणामों की याद दिला रहे हैं. इस चुनाव में एक बार फिर भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में सामने आयी है. 2020 के मुकाबले जदयू ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. इस चुनाव में जहां जदयू की जबर्दश्त वापसी हुई है, वहीं राजद का हाल 2010 जैसा ही हो गया है. कांग्रेस और वाम दलों का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा है. नयी पार्टी जनसुराज और विकासशील इंसान पार्टी ने इस चुनाव में खाता तक नहीं खोल पायी, जबकि दोनों पार्टियों को लेकर मीडिया में काफी चर्चा थी.
Bihar Election Result 2025: भाजपा सबसे बड़ी पार्टी, राजद तीसरे नंबर पर
विधानसभा में दलगत बात करें तो भाजपा एक बार फिर 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है. दूसरे नंबर पर जदयू है, जिसे 85 सीटें मिली हैं. पिछली बार सबसे बड़े दल के रूप में सदन में बैठनेवाली राजद इस बार तीसरे नंबर की पार्टी बन गयी है. राजद को 25 सीटें मिली हैं. लोजपा-रामविलास को इस बार 19 सीटें मिली और उसका स्ट्राइक रेट हमेशा की तरह बेहतर रहा. कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत मिली है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने फिर से 5 सीटों पर जीत हासिल की है. जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा की पार्टी ने भी 5 सीटों पर जीत हासिल की है. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने 4 सीटों पर, CPI(ML) ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है. आईपी गुप्ता की पार्टी IIP ने एक सीट पर जीत हासिल की है. जबकि CPI(M) और मायावती की बसपा को एक सीट पर जीत मिली है.
Bihar Election Result 2025: 50 से कम सीटें लेकर भी नीतीश कुमार ने बनायी थी सरकार
2020 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा और 74 सीटों पर जीत हासिल की, जिससे उसे 19.8% वोट मिले। जद (यू) ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा और 43 सीटों पर जीत हासिल की, जिससे उसे 15.7% वोट मिले, जबकि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) ने सात में से चार सीटों पर जीत हासिल की, जिससे उसे कुल वोट शेयर का 0.9% हासिल हुआ। लोकसभा चुनाव में जदयू का मत प्रतिशत 21.81 था, जबकि विधानसभा चुनाव में महज 15 फीसदी रहा. भाजपा का मत प्रतिशत आम चुनाव में 23.58 फीसदी था और विधानसभा चुनाव में करीब 20 फीसदी रहा. इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की. मायावती के नेतृत्व वाली बसपा को भी सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में सफल रहा है.
Bihar Election Result 2025: दो दशक राजग में वरिष्ठ सहयोगी बनी थी भाजपा
2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (लोजपा समेत) को 40 में से 39 सीटें और 53 फीसदी से अधिक मत मिले थे. 2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा करीब दो दशक के बाद अपने प्रदर्शन के बल पर राजग में जदयू को पीछे छोड़ वरिष्ठ सहयोगी बनी है. विपक्षी महागठबंधन में शामिल राजद ने 75 सीटों पर, कांग्रेस ने 19 सीटों पर, भाकपा माले ने 12 सीटों पर, भाकपा एवं माकपा ने दो-दो सीटों पर जीत दर्ज की है. राम विलास पासपान के ऐन चुनाव से पहले निधन के बाद चिराग पासवान के नेतृत्व में उनकी पार्टी सिर्फ एक सीट जीत सकी. लोजपा को छह फीसदी से भी कम मत मिले. नौ सीटों पर चिराग के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे. 5.66 प्रतिशत वोट शेयर के साथ, लोजपा 2015 के बिहार चुनाव की तुलना में एक सीट कम पर रही. इस बार लोजपा राजग का हिस्सा बन गए.
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Bihar Election Result 2025: जदयू के लिए 2015 जैसा नहीं रहा 2020 का परिणाम
2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्ममंत्री नीतीश कुमार की पार्टी का प्रदर्शन साल 2015 के चुनावों के मुकाबले अच्छा नहीं रहा. पार्टी ने इस बार जितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा किए थे, उनमें से आधे भी जीत नहीं सकी. पार्टी में विधायकों की संख्या घट कर 50 से भी नीचे 43 हो गयी. विधानसभा में नीतीश कुमार की पार्टी तीसरे नंबर पर आ गयी. बिहार चुनाव में भाजपा ने भले ही जदयू से अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन गठबंधन के नए गणित को देखें तो 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले राजग का मत प्रतिशत घटा है. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक राजग (भाजपा, जदयू, हम और वीआईपी) का मिलाकर मत प्रतिशत 40 फीसद से कम है. वहीं राजद नीत महागठबंधन को करीब 37 फीसदी मत मिले.
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Bihar Election Result 2025: भाजपा को 2015 में लगा था जोरदार झटका
इसके विपरीत, 2015 के चुनावों में जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन ने 243 में से 178 सीटें जीतकर भारी जीत हासिल की थी. राजद 80 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, उसके बाद जदयू 71 और कांग्रेस 27 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को केवल 58 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा को 53 सीटें मिलीं, जो ग्रामीण बिहार में एक बड़ा झटका था. 2015 के चुनाव में दस साल बाद मिथिला की सियासत ने करवट बदली थी. मिथिला की जनता ने भारतीय जनता पार्टी को नकारते हुए महागठबंधन को सिर आंखों पर बैठाने का काम किया था. आरजेडी मिथिला में अपनी खोई हुई सियासत को पाने में सफल रही थी, जबकि बीजेपी का पूरे इलाके से सफाया हो गया था.
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