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ALERT: हेडफोन और ईयरबड्स का इस्तेमाल करनेवालों के लिए जरूरी खबर, पढ़ें नयी रिसर्च की रिपोर्ट

एक नये शोध से पता चला है कि हेडफोन और ईयरबड के इस्तेमाल और तेज म्यूजिक सुनने से 1 अरब से ज्यादा किशोर और युवा बहरेपन के खतरे की जद में हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनियाभर में 43 करोड़ से अधिक लोग बहरेपन की शिकायतों से पीड़ित हैं.

New Research on Deafness : हमने अपनी मॉडर्न लाइफस्टाइल में कुछ ऐसी चीजों को जगह दे डाली है, जिनके बिना मानो हमारी जिंदगी की गाड़ी ही रुक जाए. इन्हीं में से एक है हेडफोन और ईयरबड. आजकल इनपर हजारों रुपये आसानी से खर्च कर दिये जा रहे हैं. लेकिन नये रिसर्च ने इसे लेकर खतरे की घंटी बजायी है. हाल ही सामने आये एक नये शोध से पता चला है कि हेडफोन और ईयरबड के इस्तेमाल और तेज म्यूजिक सुनने से 1 अरब से ज्यादा किशोर और युवा बहरेपन के खतरे की जद में हैं.

WHO के आंकड़े कहते हैं…

विश्व स्वास्थ्य संगठन, यानी डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि दुनियाभर में 43 करोड़ से अधिक लोग बहरेपन की शिकायतों से पीड़ित हैं. ऐसे में नये शोध के मद्देनजर शोधकर्ताओं का कहना है कि इस खतरे को देखते हुए, सुरक्षित सुनने की प्रथाओं को बढ़ावा देकर वैश्विक बहरापन रोकथाम को प्राथमिकता देने के लिए सरकारों, उद्योग और नागरिक समाज की तत्काल आवश्यकता है.

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पार्टी का लाउड म्यूजिक लेवल खतरनाक

बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, खराब नियामक प्रवर्तन के बीच स्मार्टफोन, हेडफोन और ईयरबड्स जैसे व्यक्तिगत सुनने वाले उपकरणों (पीएलडी) के उपयोग के साथ-साथ तेज संगीत वाले स्थानों पर उपस्थिति के कारण युवाओं पर खास तौर पर खतरा ज्यादा है.

कितना वॉल्यूम आपके कानों के लिए घातक?

पहले प्रकाशित शोध के मुताबिक, पीएलडी उपयोगकर्ता अक्सर 105 डीबी तक की उच्च मात्रा का चयन करते हैं, जबकि मनोरंजन स्थलों पर औसत साउंड लेवल 104 से 112 डीबी, जो स्वीकार्य स्तर (वयस्कों के लिए 80 डीबी, बच्चों के लिए 75 डीबी) से अधिक होता है. रिसर्च के अनुसार, डेटा के एक विश्लेषण में पीएलडी का उपयोग और जोरदार मनोरंजन स्थलों पर उपस्थिति दुनियाभर में किशोरों और युवाओं में क्रमश: 24 प्रतिशत और 48 प्रतिशत असुरक्षित श्रवण प्रथाओं से जुड़ी हुई है.

दुनिया भर में कितने यूथ और टीनेजर्स को खतरा

इन आंकड़ों के आधार पर, शोधकर्ताओं का अनुमान है कि दुनियाभर में क्रमश: 0.67 और 1.35 अरब किशोर और युवा वयस्क हैं, जिन्हें सुनने की क्षमता कम होने का खतरा हो सकता है. इस रिसर्च टीम में अमेरिका के साउथ कैरोलाइना मेडिकल विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शामिल थे. इस शोध में 33 अध्ययनों का इस्तेमाल किया गया था. रिसर्च में 12 से 35 साल के 19,046 लोगों ने हिस्सा लिया.

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Rajeev Kumar
Rajeev Kumar
राजीव, 14 वर्षों से मल्टीमीडिया जर्नलिज्म में एक्टिव हैं. टेक्नोलॉजी में खास इंटरेस्ट है. इन्होंने एआई, एमएल, आईओटी, टेलीकॉम, गैजेट्स, सहित तकनीक की बदलती दुनिया को नजदीक से देखा, समझा और यूजर्स के लिए उसे आसान भाषा में पेश किया है. वर्तमान में ये टेक-मैटर्स पर रिपोर्ट, रिव्यू, एनालिसिस और एक्सप्लेनर लिखते हैं. ये किसी भी विषय की गहराई में जाकर उसकी परतें उधेड़ने का हुनर रखते हैं. इनकी कलम का संतुलन, कंटेंट को एसईओ फ्रेंडली बनाता और पाठकों के दिलों में उतारता है. जुड़िए [email protected] पर

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