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निर्णय: आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की बैठक में बोले प्रेमचंद मुरमू, पी-पेसा के उल्लंघन से हो रहा आदिवासियों का अहित

रांची: झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों में पी-पेसा कानून का उल्लंघन कर आदिवासियों की परंपरा, भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाज व अर्थव्यवस्था पर कुठाराघात किया जा रहा है़ छठी अनुसूची के अनुरूप प्रशासनिक व्यवस्था नहीं करने और गलत तरीके से नगरपालिका/ नगर निगम के गठन के कारण उनकी जमीन लुट रही है़ वे अपने ही क्षेत्र में अल्पसंख्यक […]

रांची: झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों में पी-पेसा कानून का उल्लंघन कर आदिवासियों की परंपरा, भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाज व अर्थव्यवस्था पर कुठाराघात किया जा रहा है़ छठी अनुसूची के अनुरूप प्रशासनिक व्यवस्था नहीं करने और गलत तरीके से नगरपालिका/ नगर निगम के गठन के कारण उनकी जमीन लुट रही है़ वे अपने ही क्षेत्र में अल्पसंख्यक बन रहे हैं. उक्त बातें आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के अध्यक्ष प्रेमचंद मुरमू ने कही़ वे रविवार को होटल अशोक में केंद्रीय कानून पेसा, 1996 की धारा 4(ओ) और धारा 4(एम) के क्रियान्वयन पर आयोजित मंच की बैठक में बोल रहे थे़.
इस मौके पर कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन भी किया गया, जो देश के अनुसूचित क्षेत्रों वाले दस राज्यों में पी-पेसा कानून के अनुपालन के लिए संघर्ष करेगी़.
बैठक में बिरमित्रापुर (ओड़िशा) के विधायक जॉर्ज तिर्की, संताल परगना के पूर्व विधायक मसीह सोरेन, मंच के संयोजक विक्टर माल्टो, मुंडा पड़हा राजा पतरस गुड़िया, आदिवासी छात्र संघ के अध्यक्ष सुशील उरांव, छत्तीसगढ़ की स्वाति पन्ना, डॉ मीनाक्षी मुंडा, श्रीपाल सिंह, कौशल्या मुंडा व अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे.
नहीं हुआ सत्ता का सही विकेंद्रीकरण
पीसी मुरमू ने कहा कि पी-पेसा कानून के 4(ओ) में कहा गया है कि राज्य सरकार अनुसूचित (क्षेत्रों में छठी अनुसूची की तर्ज पर प्रशासनिक व्यवस्था बनायेगी़ पर झारखंड में ऐसा नहीं कर त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था लागू की गयी है़ इससे इस विशेष क्षेत्र में आदिवासियों के लिए सत्ता का सही विकेंद्रीकरण नहीं हो पाया़ वहीं, 4(एम-1) में ग्रामसभा को सात शक्तियां दी गयी हैं, जो मद्य निषेध, लघु वनोपज, भूमि के हस्तांतरण, बाजार, सामाजिक संस्थानों व सूदखोरों पर नियंत्रण से जुड़ी है़ं.

अवैध तरीके से ली गयी जमीन की वापसी व जनजातीय उप योजना (टीएसपी) के पैसों के नियंत्रण से जुड़े अधिकार भी है़ं, लेकिन ये अधिकार नहीं मिले है़ं इसके अतिरिक्त, अनुसूचित क्षेत्रों में नगरनिगम/ नगरपालिका का विस्तार नहीं किया गया है, पर इनका गठन किया गया़ अनुसूचित क्षेत्र रांची में ग्रेटर रांची बनाने के नाम पर 184 गांव अधिग्रहित किये जा रहे है़ं पलायन करनेवाले आदिवासियों की परंपरा, रीति- रिवाज, भाषा-संस्कृति और अर्थव्यवस्था विलुप्त हो जायेगी़

सुप्रीम कोर्ट में 29 व हाई कोर्ट में 30 मार्च को फैसला
पीसी मुरमू ने बताया कि दोनों मामलों में आदिवासी बुद्धिजीवी मंच विगत कई वर्षों से संघर्ष कर रहा है़ पेसा मामले में हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज कराया गया़ इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 29 मार्च को आयेगा़ वहीं नगरपालिका/नगरनिगम के अनुसूचित क्षेत्र में वैधता पर झारखंड उच्च न्यायालय 30 मार्च को फैसला सुनायेगा़

Prabhat Khabar Digital Desk
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