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चीनी हुक्मरानों की गंदी सोच का खुलासा, द ग्रेट चाइना वॉल दुश्मनों पर नहीं अपनों पर नजर रखने के लिए बनी थी

ग्रेट वॉल ऑफ चाइना यानी चीन की दीवार...(great wall of china) जिसकी सच्चाई सामने आ गयी है जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे. जी हां, यह दीवार चीन (china) ने अपनी चालाकी से बनायी थी. यह दीवार उत्तरी क्षेत्र के हमलावर सेनाओं को रोकने के लिए नहीं, बल्कि नागरिक आंदोलन की निगरानी के लिए चीन ने तैयार की थी. इस बात का खुलासा एक इजराइली पुरातत्वविद् ने किया है.

ग्रेट वॉल ऑफ चाइना यानी चीन की दीवार…(great wall of china) जिसकी सच्चाई सामने आ गयी है जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे. जी हां, यह दीवार चीन ने अपनी चालाकी से बनायी थी. यह दीवार उत्तरी क्षेत्र के हमलावर सेनाओं को रोकने के लिए नहीं, बल्कि नागरिक आंदोलन की निगरानी के लिए चीन ने तैयार की थी. इस बात का खुलासा एक इजराइली पुरातत्वविद् ने किया है.

शोधकर्ताओं ने जब पहली बार चीन की ग्रेट वॉल के 740 किलोमीटर (460-मील) उत्तरी रेखा को पूरी तरह से मैप किया, तो उनके निष्कर्षों ने अन्य पुरानी धारणाओं को चुनौती देने का काम किया. चीन की दीवार की उत्तरी रेखा को बड़े पैमाने पर समकालीन वैज्ञानिकों द्वारा नजर अंदाज कर दिया गया.

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”हमारे शोध से पूर्व, ज्यादातर लोगों ने सोचा था कि दीवार चंगेज खान की सेना को रोकने के लिए तैयार किया गया था. लेकिन, उत्तरी रेखा, जिसका ज्यादातर हिस्सा मंगोलिया में नजर आता है, घाटियों से होती हुई गुजरती है और यह ऊंचाई में हिसाब से बहुत कम है…यही नहीं रास्तों के करीब हैं, जो इशारा करती है कि दीवार का इस्तेमाल गैर-सैन्य कार्यों के लिए होता था.” यह बात येरूशलम के हिब्रू विश्वविद्यालय से गिदोन शेलच-लवी ने कही है जिनके नेतृत्व में दो साल तक चीन की दीवार का गहन अध्ययन किया गया.

अध्ययन को ध्‍यान में रखते हुए शेलच-लवी ने चीन की दीवार के संबंध में कहा कि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि यह लोगों और पशुओं की आवाजाही की निगरानी करने या उन्हें रोकने के लिए अधिक उपयोग में लायी जाती थी. शायद इसका इस्तेमाल उन पर कर लगाने के लिए भी किया जाता होगा. चीन की महान दीवार का निर्माण पहली बार ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में शुरू हुआ और सदियों तक निर्माण कार्य प्रगति पर रहा. आपको बता दें कि हजारों किलोमीटर तक कुल लंबाई की यह दीवार वर्गों में विभाजित है.

उत्तरी रेखा जिसे प्रसिद्ध मंगोलियाई विजेता के संदर्भ में “चंगेज खान की दीवार” के रूप में भी लोग जानते हैं, यह 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच बनायी गयी थी. यहां छोटे समूहों में 72 संरचनाओं के साथ बिंदीदार दीवार बनाने का काम किया गया था. शेलच-लवी और उनकी इजराइली, मंगोलियाई और अमेरिकी शोधकर्ताओं की टीम ने दीवार से बाहर निकलने और कलाकृतियों का पता लगाने के लिए ड्रोन, हाई-रेजोल्यूशन उपग्रह चित्रों और पारंपरिक पुरातात्विक साधनों का उपयोग किया. शेलच-लवी की मानें तो, उनके अध्ययनों के निष्कर्षों को जर्नल एंटिक्विटी में स्थान दिया गया था.

Posted By: Amitabh Kumar

Amitabh Kumar
Amitabh Kumar
डिजिटल जर्नलिज्म में 14 वर्षों से अधिक का अनुभव है. जर्नलिज्म की शुरूआत प्रभातखबर.कॉम से की. राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़. राजनीति,सामाजिक संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. ट्रेंडिंग खबरों पर फोकस.

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