इस्लामाबाद, लाहौर: पाकिस्तान के आम चुनाव में पीएमएल-एन के कदम शानदार जीत की ओर बढ़ने के साथ ही पार्टी प्रमुख नवाज शरीफ के तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने की संभावना बढ गयी है. दूसरी ओर भारत ने चुनाव परिणाम और नवाज शरीफ को मिली जीत का स्वागत करते हुए शांति प्रक्रिया को फिर से शुरु करने का आग्रह किया है.
आम चुनाव के प्रचार के दौरान 63 वर्षीय शरीफ ने वर्ष 1999 में करगिल युद्ध के कारण रुकी भारत-पाकिस्तान शांति वार्ता को फिर से शुरु करने की शपथ ली थी. वर्ष 1999 में वर्तमान सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने सैन्य तख्तापलट कर नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया था. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में नवाज शरीफ ने दोनों देशों के बीच शांति वार्ता की शुरुआत की थी.
नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चुनाव में नवाज शरीफ को मिली ‘शानदार जीत’ पर उन्हें बधाई दी और उन्हें परस्पर सुविधाजनक तारीख पर भारत आने का न्यौता भी दिया. प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है,‘‘प्रधानमंत्री ने शरीफ और उनकी पार्टी को पाकिस्तान के चुनाव में शानदार जीत के लिए बधाई दी है.’’
फिलहाल मतगणना का काम धीमी गति से चल रहा है लेकिन 264 सीटों पर मिले रुझानों से पता चलता है कि शरीफ की पार्टी को पूर्ण बहुमत से थोड़ी ही कम सीटें मिलेंगी। वह 125 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने जा रही है. वह पीएमएल-एन निर्दलीय और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम जैसी छोटी दक्षिणपंथी पार्टियों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने में कामयाब रहेगी. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फिलहाल 11 सीटों पर आगे चल रही है.
शरीफ की पार्टी को सरकार बनाने के लिए कम से कम 137 सीटों की जरुरत है. इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ महज 34 सीटों पर आगे है. वर्ष 2008 में हुए चुनाव के दौरान 124 सीटों पर जीत हासिल करने वाली और पांच वर्ष तक देश का सरकार चलाने वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) महज 32 सीटों पर आगे चल रही है.
शरीफ ऐसे समय में सत्ता में वापसी कर रहे हैं जब पाकिस्तान कई समस्याओं का सामना कर रहा है जिनमें बढ़ता चमरपंथ, देश के पश्चिमोत्तर हिस्से में तालिबान की बढ़ती मजबूती, चारों तरफ फैला भ्रष्टाचार, युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से विदेश बलों की वापसी से पूर्व अमेरिका के साथ तनावपूर्ण रिश्ते और एक ऐसी अर्थव्यवस्था शामिल है जिसमें पिछले कई सालों से गिरावट का दौर जारी है, प्रमुख हैं.
शरीफ इससे पहले वर्ष 1990-1993 और 1997-1999 तक प्रधानमंत्री रह चुके हैं लेकिन पहली बार भ्रष्टाचार के आरोप तथा दूसरी बार मुशर्रफ के नेतृत्व में सैन्य तख्ता पलट के कारण वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे. तालिबान की धमकियों और बम हमलों में करीब 50 लोगों की जान जाने के बावजूद पाकिस्तान के लोगों ने देश के पहले लोकतांत्रिक सत्ता परिवर्तन में अपनी भागीदारी निभाते हुए बड़ी संख्या में मतदान किया. शरीफ ने कल देर रात गृहनगर लाहौर में अपने उत्साहित समर्थकों को संबोधित करते हुए अपनी पार्टी की जीत का दावा किया और लोगों से कहा कि वह उनकी पार्टी को ‘पूर्ण बहुमत’ मिलने की दुआ करें ताकि उन्हें एक कमजोर गठबंधन का नेतृत्व न करना पडे.
नवाज शरीफ ने कहा, ‘‘नतीजे अभी आ ही रहे हैं लेकिन यह बात तय है कि पीएमएल-एन चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. मैं आपसे यह दुआ करने के लिए कहता हूं कि सुबह आने वाले नतीजों में पीएमएल-एन को बिना किसी बाहरी समर्थन के सरकार बनाने का मौका मिले और पार्टी को किसी और से समर्थन न मांगना पड़े.’’
जीत की खुशी मनाने के लिए पीएमएल-एन के समर्थक सड़कों पर उतर आए. जीत की खुशी से ओतप्रोत समर्थकों ने चुनाव आयोग की आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए लाहौर में कई स्थानों पर हवाई गोलीबारी की. हार को स्वीकार करते हुए अस्पताल में भर्ती क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान ने कहा, ‘‘मैंने अपने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं. लेकिन जब मैं युवाओं का जोश देखता हूं तो इस हार का गम भुला देता हूं.’’
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के 60 वर्षीय प्रमुख का कहना है, ‘‘मैं इतनी बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकलने के लिए मतदाताओं को धन्यवाद देता हूं. यह पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है. लोगों ने यह तय किया है कि वे अपने मतदान के माध्यम से पाकिस्तान का भविष्य बनाने में अपनी भूमिका निभाएंगे.’’ विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा संभव है कि 12 सीटों पर आगे चल रही मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पीएमएल-एन को समर्थन दे दे.
किसी पार्टी या गठबंधन को सामान्य बहुमत प्राप्त करने के लिए नेशनल एसेंबली की जिन 272 सीटों पर चुनाव हुए हैं उनमें से 137 सीटों पर जीत हासिल करनी होती है.342 सदस्यों वाले इस सदन की बाकि 70 सीटें महिलाओं और गैर-मुस्लिम समुदायों के लिए आरक्षित हैं और चुनाव में विभिन्न दलों के प्रदर्शन के आधार पर इन सीटों का आवंटन किया जाता है.
पीएमएल-एन के सबसे ज्यादा आबादी वाले प्रांत पंजाब में भी सरकार बनाने की संभावना है. 297 सीटों वाली प्रांतीय एसेंबली के लिए भी कल हुए चुनाव में पार्टी 188 सीटों पर आगे चल रही है. चुनाव का बहिष्कार करने के बावजूद पूर्व सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ की पार्टी आल पाकिस्तान मुस्लिम लीग को दो सीटें मिली हैं.