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नये अध्ययन से हुआ खुलासा, इबोला की रोकथाम के लिए 21 दिन काफी नहीं

वाशिंगटन: इबोला एक खतरनाक बीमारी के रूप में उभरती जा रही है. सभी देश इस वायरस के रोकथाम के लिए काम कर रहे हैं. विदेशों से आने- जाने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जा रही है. लेकिन इस सब के बावजूद इस बीमारी पर काबू पाना मुश्किल होता जा रहा है. नये अध्ययन में […]

वाशिंगटन: इबोला एक खतरनाक बीमारी के रूप में उभरती जा रही है. सभी देश इस वायरस के रोकथाम के लिए काम कर रहे हैं. विदेशों से आने- जाने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जा रही है.

लेकिन इस सब के बावजूद इस बीमारी पर काबू पाना मुश्किल होता जा रहा है. नये अध्ययन में पता चला है कि इबोला वायरस की पहचान और रोकथाम के लिए 21 दिन का समय पर्याप्त नहीं है. इबोला से अब तक 4,000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए ऐसे मरीज को 21 दिनों तक अलग थलग रखा जाता है जिसे वायरस से संक्रमित होने का खतरा रहता है.

ड्रैक्सल विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में प्रोफेसर चाल्र्स हास के नये अध्ययन में सुझाया गया है कि वायरस के प्रसार को पूरी तरह से रोकने के लिए 21 दिनों का समय पर्याप्त नहीं है. हास के अध्ययन में अफ्रीका में 1976 (जायरे) और 2000 (यूगांडा) की महामारी के साथ ही नौ महीने पहले इस बीमारी की शुरुआत पर गौर किया गया है.
दोनों मामलों में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा जुटाए गए आंकडों के मुताबिक 2-21 दिन की बीमारी की पहचान की अवधि रखी गयी है. इसका मतलब यह है कि अगर किसी में लक्षण नहीं नजर आते हैं तो 21 दिन के बाद संक्रमित होने की संभावना नहीं रहती है.
हास ने सुझाया है कि जब इस पर गौर किया जाता है तो जोखिम कारकों और गुण-दोष को भी देखा जाना चाहिए. इस प्रकृति के किसी वैज्ञानिक आंकडे के साथ परिणाम में भूल की गुंजाइश है. जायरे और यूगांडा के आंकडों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इबोला की पहचान के लिए जो अवधि रखी गयी है उस आंकडे में कुछ भिन्नता है.

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