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Hul Diwas 2022: संताल हूल के नायक सिदो-कान्हू की जन्म तिथि को लेकर आज भी असमंजस की स्थिति, जानें कारण

संताल हूल के नायक सिदो-कान्हू के जन्म तारिख को लेकर इतिहासकार समेत कई लेखकों की पुस्तकों में जिक्र नहीं है. इतना ही नहीं संताल परगना के गजेटियर में भी यह तिथि अंकित नहीं है. सिदो का जन्म 11 अप्रैल को हुआ, लेकिन वर्ष को लेकर असमंजस की स्थिति है. कान्हू का तो कहीं जिक्र ही नहीं है.

डॉ आरके नीरद

Hul Diwas 2022: 1855 के संताल हूल के नायक सिदो-कान्हू की जन्म तिथि को लेकर इतिहासकार प्राय: मौन हैं. सिदो, कान्हू, चांद व भैरव चार भाई थे. सिदो सब में बड़े थे. उनका जन्म 11 अप्रैल, 1820 को हुआ, ऐसा माना जा रहा है. कान्हू के जन्म के बारे में अलग-अलग तिथियों की चर्चा कतिपय लेखक करते हैं. इनमें वर्ष 1825, 1830 और 1832 शामिल हैं. हालांकि, इनमें से किसी भी तिथि को स्वीकार करने को लेकर इतिहासकार सहज नहीं हैं.

सिदो-कान्हू की जन्म तिथि के बारे में इतिहासकार भी सहज नहीं

पिछले डेढ़ सौ सालों में संताल हूल की चर्चा करने वाली सौ से अधिक इतिहास की पुस्तकेें छपीं हैं. लेकिन उनमें सिदो-कान्हू की जन्म तिथि को लेकर कोई सप्रमाण चर्चा नहीं है. 1872 में WW हंटर की प्रकाशित पुस्तक स्टेटिकल एकाउंट ऑफ बंगाल भाग-14 (Statistical Account of Bengal Part-14) में संताल परगना की विस्तार से चर्चा है. लेकिन, सिदो-कान्हू की जन्म तिथि के बारे में यह पुस्तक भी मौन है.

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इतिहासकार और लेखकों की पुस्तकों में भी नहीं है जिक्र

डॉ केके बोस (1931-32), डॉ केके दत्ता (1940), डॉ बीसी राय चौधरी, डाॅ एमजी रॉय, डॉ कुंवर सुरेश सिंह, डॉ राम कुमार तिवारी, डॉ दिनेश नारायण वर्मा, डॉ श्याम कुमार, हेमंत, डॉ चतुर्भुज साहु जैसे दो दर्जन से अधिक बड़े इतिहासकार और लेखकों ने भी संताल हूल की चर्चा अपनी पुस्तकों में की है. लेकिन, इन दो शहीदों की जन्म की तिथियां वहां भी अंकित नहीं है. संताल परगना के गजेटियर में भी यह तिथि अंकित नहीं है.

संताल हूल के अनेक दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध, पर नहीं है जिक्र

डॉ दिनेश नारायण वर्मा का तो दावा है कि 1788 से 1993-94 तक भारत और ब्रिटेन में संताल परगना या संताल हूल की चर्चा वाली जितनी भी पुस्तकेें प्रकाशित हुई हैं. किसी में भी सिदो-कान्हू की जन्म तिथि का उल्लेख नहीं है. इनकी जन्म तिथि को लेकर कोई ऐतिहासिक साक्ष्य भी नहीं है. हालांकि, संताल हूल के अनेक दस्तावेजी साक्ष्य विद्यमान हैं.

11 अप्रैल को सिदो का जन्मदिन

बहरहाल सिदो-कान्हू संताल परगना के एक ऐसे मिथक के रूप में हैं. जिन्हें बाद की पीढ़ियां अलग-अलग कर नहीं देखतीं. 11 अप्रैल को सिदो का जन्म दिन मानने वाले भी उस दिन दोनों भाइयों का जन्मोत्सव साथ-साथ मनाते हैं. कान्हू अविवाहित थे. वंश केवल सिदो का था, लेकिन इस वंश की पहचान सिदो-कान्हू के संयुक्त नाम से है. जो भी हो, संताल हूल पर देश-दुनिया में शोध एवं अध्ययन के ढेरों काम हुए हैं. सिदो-कान्हू की जन्म तिथि को लेकर भी इतिहासकारों को आगे आना चाहिए.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Prabhat Khabar Digital Desk
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