इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अभी भी लगभग 200 से 350 मिलियन कीपैड-फोन (Keypad Phone Users) या फीचर-फोन यूजर्स (Feature Phones India) मौजूद हैं, जो डेटा-एनेबल्ड स्मार्टफोन तक नहीं पहुंच पाए हैं. लेकिन इन भारी संख्या में यूजर्स के साथ तीन बड़ी टेलीकॉम कंपनियां- Jio, Airtel और Vi ऐसा व्यवहार कर रही हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि कहीं ये कंपनियां उन लोगों के साथ ठगी तो नहीं कर रहीं? आइए देखें कैसे:
डेटा-प्लान्स की कमी
कीपैड/2G फोन यूजर्स के पास स्मार्टफोन-एबल्ड डेटा यूजेज नहीं है. और रिपोर्ट बताती है कि 2G यूजर्स द्वारा डेटा का इस्तेमाल न के बराबर है. लेकिन कंपनियां उन्हें ऐसे रिचार्ज पैक या प्लान थोप रही हैं, जिसमें डेटा को मुख्य हिस्सा बनाया गया है, जबकि यूजर्स उस डेटा का फायदा उठा ही नहीं सकते. इस तरह यूजर्स बेवजह डेटा पैक लेने के लिए बाध्य हैं, जिसकी उन्हें जरूरत ही नहीं.
डिवाइस (फोन) बदलने का दबाव
टेलीकॉम कंपनियां समय-समय पर कहती हैं- आप स्मार्टफोन ले जाइए, 5G/4G पर अपग्रेड हो जाइए. लेकिन इसमें फोन खरीदने के खर्च से लेकर उसे मेनटेन करने और हर महीने रिचार्ज का खर्च बढ़ता ही जाता है. हर यूजर की कुछ आर्थिक सीमाएं होती हैं, ऐसे में साधारण यूजर पर अनावश्यक बोझ पड़ता जा रहा है.
यूजर की जरूरत का प्लान नहीं!
भारत में ज्यादातर कीपैड फोन आज भी 2G पर चलते हैं. लेकिन टेलीकॉम कंपनियां उन्हें ऐसे रिचार्ज प्लान देती हैं जिनमें डेटा ही डेटा भरा होता है. अब जब फोन ही डेटा ठीक से चला नहीं पाता, तो यूजर्स सोचते हैं कि पैसे तो दिये, पर फायदा क्या मिला? यानी एक तरफ पुराना कीपैड फोन और दूसरी तरफ डेटावाला प्लान. यानी सर्विस मिल भी रही है, पर यूज नहीं कर पा रहे. दरअसल, ये प्लान उनकी जरूरत के हिसाब से बने ही नहीं हैं.
बढ़ रहा डिजिटल डिवाइड
इस पूरे मामले से यह साफ दिखता है कि कंपनियों ने अपनी मार्केटिंग और रिचार्ज प्लान तैयार करने में कीपैड-फोन यूजर्स को भी स्मार्टफोन-डेटा यूजर मान लिया है, जबकि असलियत यह है कि वे उस स्थिति में नहीं हैं. ऐसे में यूजर्स को ऐसा महसूस होता है कि वे सेवा ले तो रहे हैं, मगर उसका पूरा लाभ नहीं उठा पा रहे. यह डिजिटल डिवाइड को और गहरा कर रहा है, जहां स्मार्टफोन वाले डेटा-सुविधा ले रहे हैं, वहीं कीपैड वाले फोन तो है, लेकिन डेटा यूज नहीं कर सकने वाली स्थिति में फंसे हैं.
टेलीकॉम कंपनियाें को क्या करना चाहिए?
कंपनियों को कीपैड-फोन यूजर्स के लिए ऑप्शनल प्लान ऑफर करना चाहिए. जिसमें वॉइस कॉलिंग और लिमिटेड डेटा के बेनिफिट्स यूजर की डिवाइस की क्षमता के अनुसार. टेलीकॉम कंपनियों को अपने यूजर्स को इस बात को लेकर भी जागरूक करना चाहिए कि कौन-से प्लान उनके फोन के लिए सही हैं. जैसे अगर फोन 2G वाला है, तो बहुत डेटा वाला प्लान लेना बेकार हो सकता है. नियामक TRAI को भी इस असंगति की समीक्षा करनी चाहिए कि क्या कंपनियों ने जो प्लान लाये हैं, वे यूजर फ्रेंडली हैं या नहीं.
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