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स्मार्टफोन, टैब और इ-लर्निंग के साथ ऑनलाइन एजुकेशन का बढ़ता दायरा
आधुनिकता के इस युग में इ-लर्निंग का तेजी से विस्तार हो रहा हैै. अब तो विशेषज्ञों ने भी यह स्वीकार करना शुरू कर दिया है कि भारत में ऑनलाइन एजुकेशन का भविष्य काफी उज्ज्वल है. एक ओर जहां ज्यादा से ज्यादा शिक्षण संस्थान इ-लर्निंग को अपना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर दूर-दराज इलाकों के छात्रों […]
आधुनिकता के इस युग में इ-लर्निंग का तेजी से विस्तार हो रहा हैै. अब तो विशेषज्ञों ने भी यह स्वीकार करना शुरू कर दिया है कि भारत में ऑनलाइन एजुकेशन का भविष्य काफी उज्ज्वल है. एक ओर जहां ज्यादा से ज्यादा शिक्षण संस्थान इ-लर्निंग को अपना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर दूर-दराज इलाकों के छात्रों के लिए भी इस माध्यम से उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ाना आसान हो गया है. आइए एक नजर डालते हैं भारत में इ-लर्निंग के बाजार, मौजूदा स्थिति और इस क्षेत्र के विकास की संभावनाओं पर…
स्मार्टफोन, टैब और इंटरनेट ने लगभग हर क्षेत्र की कार्यप्रणाली को प्रभावित किया है. शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है. आज पढ़ाई का तरीका हाइटेक हो चुका है. आधुनिकता के विस्तार से जन्मे ऑनलाइन लर्निंग की व्यवस्था ने न सिर्फ दूर-दराज के इलाके के छात्रों को उच्च शिक्षा की ओर बढ़ने का अवसर प्रदान किया है, बल्कि उन्हें बड़े संस्थानों के प्रोफेसर से पढ़ने की हसरत को पूरा करने का विकल्प भी दे दिया है. इसी के चलते ऑनलाइन लर्निंग आज बेहतर शिक्षा प्राप्त करने का जरिया बन गया है. यही वजह है कि ट्रेंड धीरे-धीरे बड़े व्यवसाय का रूप भी ले रहा है.
इस माध्यम का करोड़ों छात्रों को मिल रहा लाभ
इ-लर्निंग पर हुए एक सर्वे के मुताबिक आज 12.5 करोड़ से अधिक लोग 2,150 कक्षाओं की सामग्री को इंटरनेट के जरिये प्राप्त कर रहे हैं. मौजूदा समय में सैकड़ों विश्वविद्यालय और संस्थान इंटरनेट के जरिये अपने पाठ्यक्रम दुनियाभर में पहुंचा रहे हैं. वहीं देश में छठीं से 12वीं कक्षा के करीब दो करोड़ छात्र ऑनलाइन एजुकेशन लेना चाहते हैं. विश्व की सबसे बड़ी ऑनलाइन लर्निंग वेबसाइट करसेरा की कमाई के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है.
बड़ा हो रहा है ऑनलाइन ट्यूटरिंग व्यवसाय का बाजार
भारत में प्राइवेट स्कूलों में पढ़नेवाले 10 करोड़ छात्र ऐसे हैं, जो अच्छे शिक्षकों के अभाव के चलते बेहतर शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे. ऐसे संस्थानों को लगभग 20 लाख शिक्षकों की आवश्यकता है. एक ओर जहां छात्र बेहतर शिक्षा के लिए ऑनलाइन लर्निंग का रुख कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह चलन ऑनलाइन ट्यूटरिंग के बिजनेस ट्रेंड को भी बढ़ावा दे रहा है.
आज हजारों युवा, छात्रों तक बेहतर शिक्षा पहुंचाने के लिए एडटेक के व्यवसाय में उतर रहे हैं. इस क्षेत्र के बेहतरीन एजुकेशन स्टार्टअप्स के आंकड़ों पर नजर डालें, तो वेदांतु में अब तक 80 फीसदी की प्रतिधारण दर के साथ 35,000 स्टूडेंट्स रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. 80 फीसदी की प्रतिधारण दर के साथ ब्रेनर एडटेक में 1600 छात्र एवं 40 शिक्षक रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. एक लाख छात्रों और 25,000 ट्यूटर्स के रजिस्ट्रेशन प्राप्त करने के बाद एजुविजार्ड ने अपने यहां रजिस्ट्रेशन बंद कर दिये. वहीं हैलोक्लास पर एक लाख 20 हजार छात्र और पांच हजार ट्यूटर्स हैं.
भारतीय कंपनियां भी दे रही हैं इस प्लेटफॉर्म को बढ़ावा
ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करनेवाले उपभोक्ताओं में छात्रों के अलावा कर्मचारी भी शामिल हैं. क्योंकि कर्मचारियों की लगातार लर्निंग न सिर्फ उनकी परफॉर्मेंस के लिए, बल्कि कंपनी के विकास के लिए जरूरी होती जा रही है. आज प्रमुख कंपनियां अपने कर्मचारियों को माइक्रो लर्निंग और क्वालीफिकेशन केंद्रित लर्निंग, दोनों के लिए इ-लर्निंग को बढ़ावा दे रही हैं.
बढ़ रहा है इ-लर्निंग मार्केट
जुलाई 2014 की डोसेबो रिपोर्ट के मुताबिक, इ-लर्निंग का दुनिया भर में बाजार 2011 में 35.6 अरब डॉलर रहा. पांच साल का सकल वार्षिक ग्रोथ रेट करीब 7.6 फीसदी आंका गया, इसलिए इसकी कमाई 2016 तक 51.5 अरब डॉलर के आसपास पहुंचने का अनुमान लगाया गया.
इ-लर्निंग के मामले में भारत के विशेषज्ञों का अनुमान है कि इंडस्ट्री 2018 तक 1.29 अरब डॉलर तक पहुंचनेवाली है, जबकि कुछ अति आशावादी सूत्रों के मुताबिक बाजार काफी बड़ा हो सकता है, यानी 2018 तक 40-60 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. फिलहाल, विशेषज्ञों की इस पर सहमति है कि इंडस्ट्री 17-20 फीसदी मौजूदा सालाना ग्रोथ रेट से प्रगति करनेवाली है. भारत अभी ही दुनिया भर के बाजार के लिए इ-लर्निंग कंटेंट और उसके विकास का एक बड़ा स्रोत बन चुका है.
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