उनके अधीन जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, कूचबिहार जिला एवं सिलीगुड़ी महकमा के अधीन सिंचाई विभाग द्वारा बाढ़ नियंत्रण के लिए 80 करोड़ रुपये की परियोजना तैयार की गई है. इसमें से 40 करोड़ रुपये का काम भी शुरू हो गया है. जलपाईगुड़ी के राजगंज में तीस्ता के कटाव को रोकने के लिए मिलनपल्ली इलाके में काम जारी है. मयनागुड़ी के बासुसुवा में तीस्ता नदी पर 15 करोड़ रुपये की लागत से काम बरसात के बाद शुरू कर दिया जायेगा. इसी बीच मानस कुमार भादुड़ी के रिटायर हो जाने से इन कार्यों पर असर पड़ने की संभावना जतायी जा रही है. उन्होंने कहा कि वह 31 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं, लेकिन जिस तरह से बाढ़ की स्थिति बनी हुई है, उसके बीच काम छोड़कर जाना उन्हें अच्छा नहीं लग रहा है.
इधर, उनके रिटायर होने की खबर से राजनीतिक हलाकों में भी खलबली मची हुई है. जलपाईगुड़ी जिला कांग्रेस के अध्यक्ष निर्मल घोष दस्तीदार तथा भाजपा के जिला अध्यक्ष द्विपेन प्रमाणिक का आरोप है कि वाम मोरचा शासनकाल में पहले इस विभाग में चेयरमैन की नियुक्ति होती थी, उसके बाद तृणमूल के शासनकाल में विभाग का नाम बदल दिया गया और चीफ इंजीनियर की नियुक्ति होने लगी. उन्होंने कहा कि इस पद पर रिटायमेंट के ठीक पहले ही चीफ इंजीनियर को लाया जाता है.
वह कोई काम करें इससे पहले ही रिटायर हो जाते हैं. डुवार्स के विभिन्न इलाकों में इन दिनों बाढ़ ने तबाही मचा रखी है. इसी बीच में चीफ इंजीनियर का रिटायर होना सही नहीं है. जिस नये इंजीनियर की नियुक्ति इस पद पर होगी, उन्हें पहले काम समझने में ही काफी समय लग जायेगा. जिला वाम मोरचा के कन्वेनर सलील आचार्य का कहना है कि भले ही चीफ इंजीनियर रिटायर हो रहे हों, लेकिन सरकार को बाढ़ के समय और दो महीने तक उन्हें इस पद पर बनाये रखना चाहिए. उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जतायी कि रिटायरमेंट की तिथि घोषित होने के बाद भी अब तक नये चीफ इंजीनियर के नाम की घोषणा सरकार नहीं कर सकी है.