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वाम मोरचा में शुरू हुआ घमसान

जलपाईगुड़ी. कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद भी चुनाव में बुरी तरह से हार के बाद वाम मोरचा के घटक दलों के अंदर घमासान मचा हुआ है. प्रमुख शरीक दल आरएसपी के राज्य सचिव क्षीति गोस्वामी ने वाम मोरचा से अलग होने के संकेत दिये हैं. वह इस मामले को लेकर शीघ्र ही वाम मोरचा […]

जलपाईगुड़ी. कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद भी चुनाव में बुरी तरह से हार के बाद वाम मोरचा के घटक दलों के अंदर घमासान मचा हुआ है. प्रमुख शरीक दल आरएसपी के राज्य सचिव क्षीति गोस्वामी ने वाम मोरचा से अलग होने के संकेत दिये हैं. वह इस मामले को लेकर शीघ्र ही वाम मोरचा के चेयरमैन तथा माकपा नेता बिमान बोस से मिलेंगे. क्षीति गोस्वामी का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर वह वाम मोरचा के अन्य घटक दलों से भी बातचीत कर रहे हैं.
श्री गोस्वामी ने साफ तौर पर कहा कि यदि बिमान बोस कांग्रेस के साथ आगे भी समझौता जारी रखने के पक्ष में होंगे तो शरीक दलों को कोई दूसरा रास्ता खोजना पड़ेगा. शुक्रवार को श्री गोस्वामी ने जलपाईगुड़ी में जिला कमेटी के साथ एक बैठक की. उसके बाद वह संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने साफ-साफ कहा कि कांग्रेस को साथ लेकर वह आगे चलने के लिए तैयार नहीं हैं. बहुत कष्ट कर वाम मोरचा का गठन हुआ था. कांग्रेस को साथ लेकर चलने के लिए वह लोग एकजुट नहीं हुए थे. यदि माकपा आगे भी कांग्रेस के साथ चलना चाहेगी तो वह लोग वाम मोरचा में नहीं बने रह सकेंगे.
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन कर माकपा को लगा था कि विधानसभा चुनाव में उनकी जीत हो जायेगी. चुनाव परिणाम सबके सामने है. राज्य की जनता ने इस गठबंधन को नकार दिया है. वाम मोरचा के घटक दल पुराने वामपंथी लाइन को नहीं छोड़ पायेंगे. निर्णय बिमान बोस को लेना है. उन्होंने साफ-साफ कहा कि यदि माकपा कांग्रेस के साथ रहेगी तो अन्य घटक दल दूसरा रास्ता अपना लेंगे. विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद आरएसपी को कई जीती हुई सीटें छोड़नी पड़ी थी. कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर माकपा ने घटक दलों के नेताओं को भरोसे में नहीं लिया. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अकेले चुनाव लड़ने से वाम मोरचा को अधिक लाभ होता. अब चुनाव खत्म हो गया है और माकपा को कांग्रेस का साथ छोड़ना होगा.
श्री गोस्वामी ने कहा कि वाम मोरचा चेयरमैन बिमान बोस के साथ बातचीत करने के बाद आगे की रणनीति की घोषणा करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद माकपा के सभी नेता चुनाव जीतने के सपने देखने लगे थे. मतगणना के एक दिन पहले तक सभी को सरकार बनाने का भरोसा था. कई माकपा नेता तो मंत्रिमंडल की गठन की तैयारी में भी जुट गये थे.
उम्मीद है कि चुनाव परिणाम से माकपा केताओं के सपने टूट गये होंगे और वह कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की गलती को सुधारेंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन की वजह से ही तृणमूल की भारी जीत हुई है. इसके अलावा ममता बनर्जी के कन्याश्री, 100 दिन के काम, युवश्री तथा साइकिल देने आदि योजनाओं की वजह से भी तृणमूल की भारी जीत हुई. वास्तविकता यह है कि चुनाव के समय वाम मोरचा के लोगों ने तो कांग्रेस को वोट दिया लेकिन कांग्रेस के लोगों ने वाम मोरचा का साथ नहीं दिया है.

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