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चुनाव विश्लेषण: तीन राजनीतिक दलों के अलावा दूसरे उम्मीदवार नहीं कर सके कोई कमाल

सिलीगुड़ी: राज्य विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित हो जाने के बाद अब विभिन्न सीटों पर चुनावी आंकड़ों को लेकर विश्लेषण जारी है. यदि सिलीगुड़ी महकमा की बात करें तो यहां की तीनों सीटों पर मुख्य मुकाबले में तृणमूल कांग्रेस, गठबंधन तथा भाजपा उम्मीदवार ही रहे. बाकी सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. सिलीगुड़ी महकमा में […]

सिलीगुड़ी: राज्य विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित हो जाने के बाद अब विभिन्न सीटों पर चुनावी आंकड़ों को लेकर विश्लेषण जारी है. यदि सिलीगुड़ी महकमा की बात करें तो यहां की तीनों सीटों पर मुख्य मुकाबले में तृणमूल कांग्रेस, गठबंधन तथा भाजपा उम्मीदवार ही रहे. बाकी सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.
सिलीगुड़ी महकमा में तीन विधानसभा सीटें हैं और सभी सीटों पर दर्जन भर से अधिक उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे. चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद कोई भी उम्मीदवार एक प्रतिशत वोट भी हासिल नहीं कर पाये. इन उम्मीदवारों के अधिक नोटा ने वोट हासिल किया है. यदि सिलीगुड़ी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां 11 उम्मीदवार मैदान में थे. इनमें से सबसे अधिक 78 हजार 54 वोट लेकर कांग्रेस समर्थित माकपा उम्मीदवार अशोक भट्टाचार्य चुनाव जीते हैं.

उन्होंने तृणमूल के वाइचुंग भुटिया को हराया है. श्री भुटिया 63 हजार 982 वोट लाने में कामयाब रहे. तीसरे स्थान पर भाजपा की गीता चटर्जी हैं. इन तीनों के अलावा बाकी नौ उम्मीदवार कहीं भी नहीं टिके. अखिल भारतीय महासभा के दशरथ कर्मकार मात्र 334 वोट लेकर सबसे अंतिम स्थान पर रहे हैं, जो कुल मतदान का 0.19 प्रतिशत है. इसके अलावा गोरखा राष्ट्रीय कांग्रेस के रविन्द्र राई 924 वोट, बसपा के हरिदास ठाकुर 832 वोट, झामुमो के महेन्द्र कुमार जैन 618 वोट, आमरा बंगाली के विश्वजीत चटर्जी 491 वोट तथा एसयूसीआईसी के तन्मय दत्त 439 वोट पाने में ही कामयाब रहे. निर्दलीय जफर इकबाल को 499 वोट मिला है.

इन तमाम उम्मीदवारों का मत प्रतिशत 0.50 भी नहीं है. हाजिर है सभी की जमानत जब्त हो गई है. इन सभी से अधिक नोटा के पक्ष में 2877 मतदाताओं ने मतदान किया. जो कि कुल मतदान का 1.71 प्रतिशत है. सिलीगुड़ी महकमा के अधीन माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी सीट की बात करें तो यहां भी तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस तथा भाजपा उम्मीदवारों को छोड़कर और किसी की दाल नहीं गली. यह अगल बात है कि केपीपी के बिदुर वर्मन एक प्रतिशत से अधिक वोट पा गये. बाकीयों को तो एक प्रतिशत वोट भी नसीब नहीं हुआ है.


यहां कुल सात उम्मीदवार मैदान में थे, जिसमें से वाम मोरचा समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार शंकर मालाकार 41.28 प्रतिशत मत पाकर चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. उन्हें 86 हजार 441 वोट प्राप्त हुआ है. 67 हजार 814 वोट लेकर तृणमूल के अमर सिन्हा दूसरे स्थान पर रहे, जबकि भाजपा के आनंदमय वर्मन 44 हजार 625 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे हैं. इन उम्मीदवरों के अलावा बसपा के सुदीप मंडल को 1849, एसयूसीआई के क्षीतिश चन्द्र राय को 1138 वोट प्राप्त हुआ है. तृणमूल से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले गौतम कीर्तनिया की भी यहां जमानत जब्त हो गई. वह 0.83 प्रतिशत के साथ मात्र 1739 वोट ही प्राप्त कर सके. नोटा के खाते में 1.58 प्रतिशत यानी 3307 वोट गया है.

सिलीगुड़ी महकमा की तीसरी सीट फांसीदेवा की बात करें तो यहां सात उम्मीदवारों में से चार को अपनी जमानत गंवानी पड़ी है. यहां से कांग्रेस के सुनील चन्द्र तिरकी 73 हजार 158 वोट लेकर चुनाव जीते हैं. उन्होंने तृणमूल के कारलोस लाकड़ा को हराया है. श्री लाकड़ा मात्र 66 हजार 84 वोट ही पा सके. इन तीनों के अलावा निर्दलीय जेम्सा तिरकी 2072, सीपीआई-एमएल लिबरेशन के लालू उरांव 1596, बीएमपी के विकास बिरजू 1474 तथा निर्दलीय सुशील लाकड़ा 1373 वोट ही पा सके.
वर्ष 2011 के चुनाव में थी थोड़ी अच्छी स्थिति
2011 के विधानसभा चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों के अलावा जो भी उम्मीदवार मैदान में उतरे थे उनकी स्थिति इतनी दयनीय नहीं थी. कई उम्मीदवारों ने पांच प्रतिशत से अधिक वोट हालिस किये थे. फांसीदेवा सीट से तब राष्ट्रीय देसराज पार्टी के जूनस करकेट्टा 7536 वोट लेकर तीसरे स्थान पर थे. सिलीगुड़ी की अगर बात करें तो 2011 के चुनाव में भी कमोबेश 2016 जैसी ही स्थिति थी. माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी सीट के मामले में स्थिति थोड़ी अच्छी थी. केपीपी के अतुल राय 11906 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे.

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